आरोप-प्रत्यारोप से नहीं निकलेगा सांप्रदायिकता का हल : नकवी
इस देश के लोगों
ने यह फैसला किया है कि यह देश धर्मनिरपेक्ष रहेगा
नई दिल्ली। केंद्रीय संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सोमवार को स्वीकार किया कि देश के समक्ष सांप्रदायिकता एक समस्या है लेकिन एक-दूसरे पर आरोप मढ़ने से इसका समाधान नहीं निकाला जा सकता।
नकवी ने संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कहा, कई सदस्यों ने सांप्रदायिकता का मुद्दा उठाया है। ये सभी समस्याएं यहां है, सा ंप्रदायिकता यहां है, जातिवाद यहां है, अस्पृश्यता यहां थी…लेकिन इन समस्याओं से निपटने के लिए आरोप और प्रत्यारोप से कोई मदद नहीं मिलेगी। हमें इनका महिमामंडन नहीं करना चाहिए, बल्कि इन ताकतों को अलग-थलग करना होगा।
उन्होंने कहा, जब मैं यह कहता हूं तो इसे एक गैर-राजनीतिक रूप में कह रहा हूं। भारत की धर्मनिरपेक्षता के लिए कांग्रेस को श्रेय नहीं देना चाहिए। हम इसका श्रेय कांग्रेस को नहीं देते। इस देश के लोगों ने यह फैसला किया है कि यह देश धर्मनिरपेक्ष रहेगा। इस देश ने पिछले छह दशकों से सांप्रदायिकता, समाज के विघटन और दंगों का दंश झेला है। हमारा देश किसी की वजह से धर्मनिरपेक्ष नहीं है, बल्कि इस देश के लोगों ने धर्मनिरपेक्षता को चुना है।
नकवी ने कहा, इस देश के लोग तालिबान मानसिकता और धार्मिक असहिष्णुता वाले कभी नहीं हो सकते। देश के संविधान निर्माता दूरदर्शी थे। क्योंकि उन्होंने ऎसे समय में भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाने का फैसला किया, जब पड़ोसी देश पाकिस्तान ने इस्लाम राष्ट्र बनने का चुनाव किया था। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में सांप्रदायिक सौहार्द्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
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