इच्छा मृत्यु पर एक फरवरी तक केंद्र दे अपनी राय : सुप्रीम कोर्ट
उच्चतम न्यायालय ने इच्छा मृत्यु को मौलिक अधिकारों की सूची में रखे जाने
संबंधी याचिका पर केंद्र सरकार से एक फरवरी तक अपनी रिपोर्ट दाखिल करने को
कहा है।
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने इच्छा मृत्यु को मौलिक अधिकारों की सूची में रखे जाने संबंधी याचिका पर केंद्र सरकार से एक फरवरी तक अपनी रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।
न्यायमूर्ति अनिल आर. दवे की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अगली सुनवाई के लिए एक फरवरी की तारीख मुकर्रर करते हुए सरकार को निर्देश दिया कि वह अगली तारीख तक यह बताए कि इच्छा मृत्यु को लेकर उसकी क्या राय है और इस बारे में वह क्या कदम उठा रही है?
गैर-सरकारी संगठन कॉमन कॉज की याचिका की सुनवाई के दौरान संविधान पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर किसी इंसान का दिमाग काम करना बंद कर दे और वह बस वेंटिलेटर के सहारे ही ङ्क्षजदा हो एवं उसके बचने की कोई उम्मीद न हो तो ऐसे में क्या उसे इच्छा मृत्यु दी जा सकती है?
याचिकाकर्ता की ओर से प्रशांत भूषण ने जिरह की, जबकि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पी. एस. पटवालिया ने केंद्र सरकार का पक्ष रखा। अरुणा शानबाग मामले में न्याय मित्र की भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता टी. आर. अंध्यार्जुन ने भी अपनी दलीलें दी। न्यायालय ने कहा कि वह अगली सुनवाई को उन्हें विस्तृत रूप से सुनेगा।
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