फर्जी भर्ती मामले में दिग्विजय के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी
कोर्ट में चार्जशीट दाखिल होने के बाद अतिरिक्त जिला जज काशी नाथ सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ
धारा 420 (धोखाधड़ी) और भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराओं में वारंट जारी
किया
भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। भोपाल की एक अदालत ने सिंह के खिलाफ राज्य विधानसभा कथित फर्जी भर्ती मामले में अरेस्ट वारंट जारी किया है। सुनवाई के
वक्त वह अदालत में मौजूद नहीं थे। पुलिस ने दिग्विजय सिंह और आठ अन्य के खिलाफ शुक्रवार को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने के बाद अतिरिक्त जिला जज काशी नाथ सिंह की अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ धारा 420 (धोखाधड़ी) और भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराओं में वारंट जारी किया।
दिग्विजय सिंह के वकील अजय गुप्ता ने कोर्ट से गुजारिश की कि उनके मुव्वकिल मौजूद नहीं हैं, इसलिए उन्हें थोड़ा और वक्त दिया जाए। हालांकि, कोर्ट ने वकील की इस दलील को खारिज करते हुए गिरफ्तारी वारंट जारी करने का आदेश
दिया। उल्लेखनीय है कि फर्जी तरीके से विधानसभा में 17 लोगों को नौकरी दी गई थी। हालांकि, पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक, पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ 13 मामलों में आरोपी बनाया गया है।
चार्जशीट में पुलिस ने जिन आठ लोगों को आरोपी बनाया है, उनमें से पांच पहले से ही जमानत पर हैं, जबकि दो को गिरफ्तारी के बाद जमानत मिली। इससे पहले, सदन के उपाध्यक्ष श्याम लाल मैथिल द्वारा जहांगीराबाद पुलिस स्टेशन में
शिकायत करने के बाद 27 फरवरी, 2015 को कांग्रेस महासचिव और 19 अन्य लोगों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की गई थी।
शिकायत में कहा गया था कि नियुक्तियां देते वक्त लोगों की उम्र, योग्यता और आवश्यक मानदण्डों को ध्यान में नहीं रखा गया। इन लोगों को पदोन्नती देकर आबकारी, नगरपालिका और परिवहन जैसे विभागों में प्रतिनियुक्ती पर भेज दिया गया।
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