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खरगोन

चौथे दिन भी थमे रहे जननी के पहिए

चार महीनों से नहीं हुआ भुगतान, विभाग नहीं सुलझा पा रहा गुत्थी

खरगोनApr 11, 2016 / 03:12 am

Editorial Khandwa

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Maternity ward mother standing near the vehicle

खरगोन. चार महीने से लंबित भुगतान के कारण जननी सुरक्षा योजना बंद होने की कगार पर आ गई है। वाहन संचालकों के विरोध स्वरूप जननी एक्सप्रेस को बंद कर दिया। जिले में संचालित 25 वाहनों को ठेकेदार व चालकों द्वारा जिला अस्पताल में गाडिय़ां खड़ी कर दी है।ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं पर इसका बुरा असर पड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों से रेफर होकर आने वाली गर्भवती महिलाओं को आने और जाने में खासी परेशानी उठाना पड़ रही है। उधर, विभाग के पास इतना बजट नहीं है कि वह इसका तत्काल भुगतान कर दें। शासन से बजट का आवंटन नहीं होने से यह स्थिति निर्मित हुई। इस गुत्थी को सुलझाने के लिए अधिकारियों की ओर से कोई पहल नहीं की।

80 लाख से ज्यादा राशि अटकी
जिले में संचालित जननी एक्सप्रेस वाहनों हर माह लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं। अनुमान के मुताबिक एक महीने में 20 से 22 लाख रु. खर्च किए जा रहे हैं। इस हिसाब से जनवरी से मार्च के मध्य वाहनों के संचालन का बजट 80 लाख से अधिक होता है, लेकिन शासन स्तर से मामला पेडिंग होने से राशि अटकी हुई है और इससे वाहन मालिकों को भुगतान नहीं हो पा रहा। दिसंबर 2015 के दौरान 18 लाख रु. क भुगतान अप्रैल में हुआ। किंतु राशि मिलने से वाहन मालिक संतुष्ट नहीं है।

गर्भवती महिलाओं की फजीहत
ग्रामीण क्षेत्रों से गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए अस्पताल तक लाने और छोडऩे का काम जननी वाहनों से किया जाता है। इसलिए जननी एक्सप्रेस को संजीवनी कहा जाता है। लेकिन वाहनों का संचालन बंद होने के बाद गर्भवती महिलाओं को खासी फजीहत झेलना पड़ रही है। जिला अस्पताल तक आने और जाने के लिए लोग प्राइवेट वाहनों का सहारा ले रहे हैं।

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