scriptनायडू ने कहा, असहिष्णुता के मुद्दे बहस के लिए तैयार है सरकार | Government prepare for argue on Intolerance issue, says Venkaiah Naidu | Patrika News

नायडू ने कहा, असहिष्णुता के मुद्दे बहस के लिए तैयार है सरकार

Published: Nov 04, 2015 09:56:00 pm

केन्द्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने बुधवार को कहा कि सरकार असहिष्णुता के मुद्दे पर बहस के लिए तैयार है

Venkaiah Naidu

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नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने बुधवार को कहा कि सरकार असहिष्णुता के मुद्दे पर बहस के लिए तैयार है। इसके साथ ही उन्होंने बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरूख खान और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के खिलाफ भाजपा के कुछ नेताओं के विवादित बयान को भी खारिज कर दिया। नायडू ने कहा, “किसी को भी ऎसी निरर्थक बातें नहीं करनी चाहिए। कर्नाटक में एक स्थानीय पदाधिकारी द्वारा दिया गया बयान पूरी तरह से निंदनीय है, अगर उन्होंने मीडिया की रिपोटोंü के अनुसार ऎसा बयान दिया है। पार्टी शाहरूख खान के खिलाफ एक पदाधिकारी द्वारा की गई टिप्पणी को भी स्वीकार नहीं करती।”

भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने मंगलवार को यह ट्वीट कर विवाद पैदा कर दिया था कि शाहरूख खान की “आत्मा” पाकिस्तान में है हालांकि वह रहते भारत में हैं। इस मुद्दे पर हुई आलोचना के बाद बुधवार को उन्होंने अपने ट्वीट वापस ले लिए। कर्नाटक में बीजेपी के एक नेता ने गोमांस खाने को लेकर मुख्यमंत्री का सिर काटने की धमकी दे दी थी। “बढ़ती असहिष्णुता” के खिलाफ कांग्रेस, कलाकारों, वैज्ञानिकों और बुद्धिजीवियों द्वारा प्रदर्शन किए जाने के बारे में पूछे जाने पर संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि उनका आंदोलन लोगों द्वारा दिए गए जनादेश के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है, अगर विपक्ष संसद चलने देती है।

नायडू ने कहा, “आप विस्तार से असहिष्णुता पर बहस कर सकते हैं। पहले, कांग्रेस को मेरा सुझाव है कि सहिष्णु बने और संसद को चलने दे। आप (कांग्रेस) सरकार की असहिष्णुता के बारे में बोलते हैं.. लेकिन आप असहिष्णु हैं और आप सरकार को काम नहीं करने दे रहे हैं, आप संसद को नहीं चलने दे रहे हैं।”

कांग्रेस पर हमला बोलते हुए नायडू ने कहा, “संसद में यह चर्चा हो सकती है। कौन सहिष्णु है, किसने आपातकाल लगाया, किसने मीडिया का गला घोंटा, किसने न्यायाधीशों की नियुक्ति में वरीयता की अनदेखी की और सिखों के नरसंहार के लिए कौन जिम्मेदार है? कश्मीरी पंडितों का क्या हुआ?”

उन्होंने कहा, “इन सभी बातों पर संसद में विस्तार से चर्चा की जा सकती है..।” उन्होंने चल रहे प्रदर्शनों को खारिज करते हुए सवाल किया कि क्या अभी 1984 के सिख विरोधी दंगों की तरह लोगों की हत्याएं हुई हैं या 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों की तरह लोग विस्थापित हुए हैं।”

नायडू ने कहा, “मैं उसे उचित ठहराने का प्रयास नहीं कर रहा हूं। ये सभी चीजें पहले भी हुई हैं। मेरा कहना है कि किसी भी समय कहीं भी ऎसी घटना हो, वह निंदनीय है..। हमें इसका राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए।” संसद के शीतकालीन सत्र के इसी महीने शुरू होने की संभावना है।
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