पूर्व सीएम आनंदीबेन पटेल ने पाटीदारों से परेशान होकर ईबीएस कोटा गुजरात में लागू करने का निर्णय तो ले लिया, लेकिन भाजपा के नये सीएम विजय रुपानी की सरकार के लिए वही गले की फांस बन गई है।
गांधीनगर. कुछ महीने पहले सीएम आनंदीबेन की सरकार ने आनन-फानन में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (ईबीएस) के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का ऐलान किया था। उसी आदेश को गुजरात सरकार ने वापस ले लिया है। बताया जा रहा है कि ऐसा प्रदेश में नाराज पाटीदार समुदायों को खुश करने के लिए किया गया है, ताकि प्रदेश कांग्रेस इसका लाभ उठाकर आगामी विधानसभा चुनावों भाजपा को झटका न दे दे।
लागू कराने का करेंगे प्रयास
इस बाबत गुजरात सरकार सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा शुक्रवार देर शाम नोटिस जारी किया जा चुका है। आदेश में कहा गया है कि फिलहाल ईबीएस कोटे के तहत जारी 10 प्रतिशत आरक्षण पर अमल न किया जाए और न ही किसी को इस योजना के तहत नियुक्ति दी जाए। इस कोटे को लागू करने की घोषणा पूर्व सीएम आनंदीबेन की सरकार ने किया था। हालांकि ईबीएस श्रेणी के युवाओं को आरक्षण देने को लेकर न तो हाईकोर्ट न ही सुप्रीम कोर्ट सहमत थी। अदालतों का कहना है कि अलग से 10 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान गैर कानूनी माना जा सकता है। तत्कालीन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और अब सीएम विजय रुपानी ने कहा ईबीएस आरक्षण को लेकर हा है कि पार्टी इस मामले में कानूनी पहलुओं का ध्यान रखेगी और हर संभव प्रयास करेगी कि इसे लागू करा दिया जाए।
ईबीएस केे लोगों को मूर्ख न बनाये भाजपा सरकार
एआईसीसी के प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा है कि ईबीएस कोटे का रद होना स्वाभाविक था। इसके लिए जरूरी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन गुजरात सरकार ने नहीं किया था। उन्होंने कहा कि ईबीएस आरक्षण को लेकर अगर गुजरात सरकार गंभीर है तो इसे पहले विधेयक के रूप में विधानसभा पटल पर रखे और उसे पास कराये। प्रदेश भाजपा सरकार ने ईबीएस श्रेणी के लोगों को मूर्ख बनाने और बहकाने वाली बात है।