नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को नोटबंदी के रास्ते कैशलेस इकॉनोमी की ओर ले जाने की कोशिश में जुटे हैं। लेकिन इसके लिए कुछ मूलभूत सुविधाओं की कमी बड़ी बाधा है। कैशलेस सिस्टम के लिए इंटरनेट बहुत जरूरी है, लेकिन देश के कई हिस्सों में अभी तक इंटरनेट की पूर्णत: पहुंच नहीं है और 17 फीसदी से भी कम लोगों के पास स्मार्टफोन है। यह भी बता दें कि जहां इटनेट की सेवाएं हैं वहां 2014 से अबतक 250 दिन तक इंटरनेट की फैसिलिटी ही नहीं मिल पाई। नीचे कुछ प्वाइंट में पढ़ सकते हैं कैसे कैशलेस सिस्टम में इंटरनेट बड़ी बाधा के तौर पर सामाने आ सकता है।
इंटरनेट दे सकता है कैशलेस इकॉनमी प्लान को झटका
-2014 से अबतक 250 दिन इंटरनेट सेवा रही बाधित
-भारत में इंटरनेट की पहुंच 30 फीसदी से भी कम
-स्मार्टफोन की पहुंच 17 फीसदी के करीब
-2016 में 200 दिन मोबाइटल इंटनेट कनेक्टिविटी सेवा रही बाधित
-2015 में 30 दिनों तक विभिन्न जगहों पर इंटरनेट सेवा रही बाधित
-60 फीसदी से ज्यादा 2016 में जम्मू-कश्मीर में रहा नेटवर्क बाधित
-बुरहान वानी की मौत के बाद 133 दिनों तक इंटरनेट व मोबाइल सेवा रही बाधित
3 साल में 12 राज्यों में 39 इंटरनेट ब्लैकआउट
जम्मू-कश्मीर
2014 में दो बार
-9 व 11 फरवरी (अफजल गुरु की फांसी)
-17 व 18 मार्च
2015 में पांच बार
-5 जून
-15 अगस्त
-25-26 सितंबर
-8 अक्टूबर
-7 नवंबर
2016 में छह बार
-14 अप्रैल
-15 से 18 जून
-22 जून
-23 जून
9 जुलाई से लेकर 18 नवंबर
हरियाणा
2016 में तीन बार जाट आंदोलन से इंटरनेट सेवाएं बाधित हुई
– 19 फरवरी से 1 मार्च
-18 मार्च
4-5 जून
उत्तर प्रदेश
2016 में दो बार
-17-18 मई ( सांप्रदायिक हिंसा के बाद आजमगढ़ में)
-18-19 सितंबर (बिजनौर में सांप्रदायिक तनाव के बाद)
राजस्थान
2015 में दो बार
24 अक्टूबर – सांप्रदायिक तनाव के बाद भिलवाड़ा में
19 दिसंबर- सांप्रदायिक तनाव के बाद कई जगहों पर इंटरनेट सेवा बाधित
2016 में तीन बार
– 22 व 23 फरवरी को भरतपुर में जाट कोटा आंदोलन के बाद
– 30 जून-1 जुलाई को जैसलमेर में
-16 सितंबर को भिलवाड़ा में
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