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MTCR में शामिल होने से भारत की बढ़ेगी ताकत, होंगे ये फायदे

Published: Jun 27, 2016 12:47:00 pm

भारत का एनएसजी में शामिल होने का सपना अभी अधूरा है, लेकिन एक सपना हो गया है पूरा

Brahmos

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नई दिल्ली। बेशक भारत की परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के समूह (एनएसजी) में शामिल होने की कोशिश फिलहाल नाकाम रही हो, लेकिन भारत सोमवार को मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (एमटीसीआर) में औपचारिक तौर पर शामिल हो गया है। दुनिया के चार महत्वपूर्ण परमाणु टेक्नोलॉजी निर्यात करने वाले खास देशों के समूह में एमटीसीआर अहम है। एमटीसीआर में भारत की सदस्यता किसी भी बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था में भारत का पहला प्रवेश है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा – हमने पिछले साल एमटीसीआर की सदस्यता के लिए आवेदन किया था और सारी प्रक्रियात्मक औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं।

यह है एमटीसीआर

वर्ष 1987 में समूह सात देशों सहित 12 विकसित देशों ने मिलकर आणविक हथियार से युक्त प्रक्षोपास्त्रों के प्रसार को रोकने के लिए एक समझौता किया था, जिसे मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) कहा जाता है। अप्रेल 1987 में स्थापित स्वैच्छिक एमटीसीआर का उद्देश्य बैलिस्टिक प्रक्षोपास्त्र और अन्य मानव रहित आपूर्ति प्रणालियों के विस्तार को सीमित करना है जिसका रसायनिक, जैविक और परमाणु हमलों में उपयोग किया जा सकता है। एमटीसीआर में शामिल होने से अब भारत हाई-टेक मिसाइल का दूसरे देशों से बिना किसी अड़चन के एक्सपोर्ट कर सकता है और अमरीका से ड्रोन भी खरीद सकता है और अपना मिसाइल किसी और देश को बेच सकता है।

यह है एमटीसीआर का मकसद

एमटीसीआर का मकसद मिसाइलों के प्रसार को प्रतिबंधित करना, रॉकेट सिस्टम को पूरा करने के आलवा मानव रहित जंगी जहाजों पर 500 किलोग्राम भार के मिसाइल को 300 किलोमीटर तक ले जाने की क्षमता वाली तकनीक को बढ़ावा देना है। बड़े विनाश वाले हथियारों और तकनीक पर पाबंदी लगाना इस समूह का मकसद है।

भारत बनेगा सुपर पावर

एमटीसीआर का सदस्य बनने से अब भारत को प्रमुख उत्पादक देशों में अत्याधुनिक मिसाइल टेक्नोलॉजी और मॉनीटरिंग सिटस्म खरीद में मदद मिलेगी। सिर्फ एमटीसीआर सदस्य देश ही इसे खरीद सकते हैं। सदस्यता के साथ ही भारत के लिए अमरीका से ड्रोन तकनीकी लेना सरल हो जाएगा। मिसाइल टेक्नोलॉजी का निर्यात कर सकेगा।

इस समूह के सदस्य नहीं हैं चीन और पाकिस्तान

एमटीसीआर में कुल 34 प्रमुख मिसाइल निर्माता देश शामिल हैं। इसमें फ्रांस, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन, अमरीका, इटली और कनाडा इसके संस्थापक सदस्य रहे हैं। वर्ष 2004 में बुल्गारिया को इस समूह का सदस्य बनाया गया था, इसके बाद किसी नए देश को इसका मौका नहीं मिला।

भारत को होगा ये फायदा

एमटीसीआर में एंट्री से भारत को रॉकेट सिस्टम, ड्रोन और इससे जुड़ी टेक्नोलॉजी हासिल करने में मदद मिलेगी। शुरुआत में अमरीका से जनरल एटॉमिक्स कंपनी की ओर से बनाए गए प्रिडेटर ड्रोन्स और अनमैन्ड एरियल व्हीकल मिलने में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि इन्हीं ड्रोन्स ने अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ हमलों में अहम भूमिका निभाई थी। इन्हें जनरल एटॉमिक्स एमक्यू – 1 प्रिडेटर भी कहा जाता है। इसे सबसे पहले यूएस एयरफोर्स और सीआईए ने यूज किया था। नाटो की फौजों ने बोस्निया, सर्बिया, इराक वॉर, यमन, लीबिया सिविल वॉर में भी इनका इस्तेमाल किया था। प्रिडेटर के अपडेट वर्जन में हेलफायर मिसाइल के साथ कई अन्य वेपन्स भी लोड होते हैं। प्रिडेटर में कैमरा और सेंसर्स भी लगे हाते हैं तो इलाके की पूरी मैपिंग में खासे मददगार होते हैं।
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