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लोकसभा इस साल सबसे ज्यादा शायराना रही 

Published: Sep 04, 2016 04:09:00 pm

संसद के निचले सदन के इतिहास में पहली बार इतनी ज्यादा शायरी पढ़ी गई। 

LOKSABHA

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rohit.panwar@in.patrika.com


नई दिल्ली. कुछ तो मजबूरियां रहीं होंगी, आदमी यूं ही बेवफा नहीं होता.. इन पंक्तियों के साथ लोकसभा तालियों की गड़गड़ाहट और सांसदों के ठहाकों से गूंज उठी थी। तारीख आठ मार्च थी। भाजपा सांसद भोला सिंह ने जीएसटी के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरते हुए इन पंक्तियों को दोहराया था। दिलचस्प यह है कि भोला सिंह की तरह पक्ष-विपक्ष के सांसदों ने लोकसभा में इस साल एक दूसरे को घेरने के लिए सबसे ज्यादा बार शायरी का इस्तेमाल किया।


…जब पीएम ने निदा फाजली की गजल से किया हमला

 इस साल राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने निदा फाजली की गजल से कांग्रेस पर हमला किया। उन्होंने कहा, यहां किसी को कोई रास्ता नहीं देता, मुझे गिराकर अगर तुम संभल सको तो चलो। दरअसल, निदा के इस शेर के जरिये उन्होंने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा था। राहुल गांधी ईपीएफ पर टैक्स वापस लेने के सरकार के फैसले का श्रेय लेने की कोशिश कर रहे थे। 


पाश से लेकर मिर्जा गालिब छाए रहे

किसी ने पाश की कविता पढ़ी तो किसी ने मिर्जा गालिब का जिक्र करते हुए मोहब्बत पर शायरी पढ़ी। मुद्दे भले ही गंभीर रहे हों मगर इस दरम्यान माहौल खुशगवार हुआ। बहरहाल, पिछले दो सालों में इतनी शायरी का इस्तेमाल नहीं हुआ जितना इस साल हुआ। फरवरी से लेकर अब तक सांसदों ने कुल 43 बार शायरी से अपने मुद्दे रखे तो किसी ने सरकार को घेरा। यह आंकड़ा वर्ष 2014 और साल 2015 से ज्यादा है। साल 2013 में सदन के इस निचले सदन में अधिकतम 42 बार शायरी का प्रयोग हुआ था।

भाजपा रही सबसे आगे

भाजपा शायरी के मामले में सबसे आगे रही। इसके सांसदों ने 64 फीसदी कविताएं पढ़ीं। भाजपा के डॉ. रमेश पोखरियाल ने ज्यादा दिलचस्पी दिखाई। उन्होंने पांच बार कविताएं पढ़ीं। रेल बजट के दौरान मंत्री कृष्णा राज ने विपक्ष के शोर को कम कराने के लिए कहा, वक्त आने पर बता देंगे तुझे ऐ आसमां, हम अभी से क्या बताएं, क्या हमारे दिल में हैं। दूर रह पाए जो हमसे, दम कहां मंजिल में है, सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। खैर, दूसरे नंबर पर कांग्रेस रही। उसने 14 बार शायरी पढ़ी। कांग्रेस के बाद शरद पवार की पार्टी एनसीपी तीसरे नंबर पर रही। इसके सांसदों ने तीन बार कविताओं के जरिये एनडीए सरकार को घेरा।

हर सत्र में औसतन दस कविता

16वीं लोकसभा के हर सत्र में औसतन दस कविता पढ़ी गई। इससे पहले 15वीं लोकसभा के सत्र के दौरान औसतन छह शायरी पढ़ गई थी। खास बात यह है कि न सिर्फ हिन्दी पट्टी के राज्यों से आने वाले सांसद बल्कि दक्षिणी राज्यों से आने वाले सांसदों ने भी अपनी क्षेत्रीय भाषा और इंग्लिश में शायरी पढ़ी। 
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