ग्वालियर। शहर विकास के लिए तैयार किए गए 12.12 अरब रुपए के निगम बजट पर मंगलवार को चर्चा होनी है। इसके लिए विपक्ष की ओर से कांग्रेस ने सर्वाधिक 23 संशोधन प्रस्ताव लगाए हैं तो वहीं माकपा और निर्दलीय पार्षदों ने नौ। कुल 32 संशोधन प्रस्ताव लगाकर बजट तैयार करने वालों पर सवाल खड़े किए हैं।
सूत्रों की मानें तो इस बार भी सत्तापक्ष बिना संशोधन स्वीकार किए ही बजट पास कराने की जुगत में लगा है। रविवार शाम तक जल विहार स्थित महापौर कार्यालय में पहुंचे प्रस्तावों की स्क्रूटनी शुरू हो गई। जिस पर मंगलवार को चर्चा के बाद संभवत: बहुमत से बजट पास कर दिया जाएगा। हालांकि कई संशोधन प्रस्तावों ने बजट में एक ही मद के कई बिंदु पुन: दर्ज करते हुए भ्रम की स्थिति पैदा की है। जो अफसरों की नीयत पर सवाल खड़े कर रहा है।
67 दिन रखा बजट
31 नवंबर को निगमायुक्त द्वारा बजट तैयार कर एमआईसी को प्रस्तुत किया जाता है। 15 जनवरी तक एमआईसी बजट के बिंदुओं पर चर्चा कर उसे परिषद में भेजती है। लेकिन ६७ दिनों बाद बजट को निगम परिषद में भेजा गया।
इन्होंने लगाए संशोधन
विपक्ष की ओर से कांग्रेस पार्षदों ने 23 संशोधन लगाए हैं, जबकि माकपा पार्षद ऊ षा गोस्वामी और निर्दलीय पार्षद जगदीश पटेल ने 9 संशेाधन प्रस्ताव लगाकर बजट की खामियों पर संशोधन प्रस्ताव दिए हैं। जानकारों की माने तो बजट समझने के लिए समय मिलता तो संशोधन 100 से अधिक होते।
नि यमानुसार बजट जनवरी, फरवरी या मार्च के शुरुआती दिनों में ही लाया जा सकता था। ताकि बजट के सभी बिंदुओं पर परिषद के सदस्य गहन अध्ययन कर लें। लेकिन सत्तापक्ष ने एसा नहीं होने दिया। न भाजपा पार्षदों को बजट दिखाया, न ही विपक्ष को सोचने -समझने का मौका दिया। सूत्रों की मानें तो अफसरों ने बजट तैयार करने में कई स्तरों पर लापरवाही बरती है, जिसे छिपाने के लिए कम समय की रणनीति तैयार की गई। इसलिए जानबूझकर 67 दिन बाद 22 मार्च को बजट प्रस्तुत किया। ताकि होली के त्यौहार के चलते पार्षद क्षेत्र में व्यस्त रहें और बजट का अध्ययन न कर सकें। इस नीति में अफसर लगभग कामयाब भी हो गए।
यह संशोधन भी
20.32 करोड़ का बजट कार्यालय संप्रेक्षण, पुस्तक की मद में रखा गया है तो फिर २.६४ करोड़ का बजट अन्य प्रशासनिक व्यय में क्यों रखा गया है। इस राशि से क्या होगा, इसका स्पष्ट उल्लेख नहीं है।
29.41 करोड़ का कार्यक्रम व्यय खत्म करने की मांग।
7.90 करोड़ के उद्यान, नर्सरी विकास के कई मद रखे गए हैं, जिन्हें एक किए जाने की मांग की है।
1.37 अरब का मरम्मत एवं अनुरक्षण शामिल है, इसके बावजूद 16.49 करोड़ का अन्य परिचालन एवं अनुरक्षण का प्रावधान क्यों किया, इस पर भी संशोधन लगाया गया है।
जनमित्र के लिए बजट 10 लाख को खत्म करने की मांग।
शासन ने राशन कार्ड से वितरण पर रोक लगा दी है। इसके बावजूद राशन कार्डों की प्रिंटिंग के लिए ५ लाख का प्रावधान किया है, जो अफसरों की नीयत पर सवाल खड़े कर रहा है।
संग्रहालय के लिए 20 लाख की दो मदों पर भी आपत्ति है।
सफाई सामग्री की दो मदों में 20-20 लाख के प्रावधानों पर भी सवाल उठे हैं।
कार्यशाला के लिए 2.40 करोड़ की कई मदों पर आपत्ति दर्ज कराते हुए एक करने का सुझाव दिया है।
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