बचत पर फिर चपत की तैयारी में मोदी सरकार
ईपीएफ, पीपीएफ, आरडी, डाकघर बचत योजना, एनएससी, सुकन्या समृद्धि खाता और सावधि जमा की ब्याज कम होने से भविष्य की योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं
नई दिल्ली। सरकार की नजर एक बार फिर आम लोगों की बचत पर है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि देश में बचत की दर काफी अधिक है। बचत पर ऊंची ब्याज से लैंडिंग कॉस्ट काफी बढ़ जाती है। इसका खामियाजा अर्थव्यवस्था की सुस्ती के रूप में सामने आता है।
इस तरह जेटली ने इस बात के पर्याप्त संकेत दे दिए हैं कि आने वाले दिनों में बचत पर ब्याज दर तो नहीं ही बढ़ेगी, अगर सरकार की चली तो आर्थिक विकास के नाम पर इसे कम भी किया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो करोड़ों लोगों को उनकी छोटी बचत पर कम ब्याज मिलेगा।
ईपीएफ, पीपीएफ, आरडी, डाकघर बचत योजना, एनएससी, सुकन्या समृद्धि खाता और सावधि जमा की ब्याज कम होने से भविष्य की योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं। स्टॉक एक्सचेंज बीएसई के 140 साल पूरे होने से जुड़े एक कार्यक्रम में जेटली ने कहा कि भारत उन चंद देशों में शुमार है, जहां घरेलू बचत पर उच्च ब्याज दर दी जाती है। सभी आर्थिक क्रियाकलापों के केंद्र में निवेश होता है, जो उन्हीं स्रोतों से आता है, जहां संसाधन हैं।
अगर इन पर ऊंची ब्याज दर देनी पड़ती है तो इससे निवेश प्रभावित होने के साथ ही विकास भी कम हो जाता है। जेटली ने कहा, ऐसे वक्त जब अधोसंरचना और उद्योग के लिए भारी निवेश की जरूरत है, बचत की ऊंची दर से यह बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
फाइनैंशियल एक्सपर्ट हर्ष रूंगटा जेटली ऐसा कहकर स्मॉल सेविंग्स पर ब्याज दर कम करने का माहौल बना रहे हैं। सरकार एक जुलाई तक ही ब्याज दरों में कमी करना चाह रही थी, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाया। अब लगता है कि आने वाले दिनों में बचत पर ब्याज दर कम होना लगभग तय हो गया है। अगर ऐसा होता है तो इससे उन लोगों की परेशानी बढ़ेगी, जिनका भविष्य इन छोटी बचत पर निर्भर है। हालांकि इकोनॉमिक्स के सिद्धांत के अनुसार सरकार के लिए ऐसा करना जरूरी भी है, क्योंकि अगर लोगों को कम ब्याज दर पर होम लोन, कार लोन आदि चाहिए, तो उन्हें अपनी बचत पर कम ब्याज दर पाने के लिए तैयार भी रहना चाहिए। लोगों को एक साथ दोनों फायदे नहीं दिए जा सकते। ऐसा करना बड़े इकोनॉमिक हितों के लिहाज से सही नहीं हैं।
पुराने मॉडल से तो रिटर्न नकारात्मक
महंगाई दर के आकलन की पुरानी पद्धति के अनुसार तो छोटी बचत पर नकारात्मक रिटर्न मिल रहा था। मिसाल के तौर पर सीनियर सिटीजन के लिए ब्याज की दर 9.3 फीसदी थी। 2008 से 2013 के बीच महंगाई की दर 10 फीसदी रही। यदि सीनियर सिटीजन को आयकर न देना पड़े तब भी सेविंग पर रिर्टन माइनस 0.7 फीसदी रहा। यदि वे 10 फीसदी आयकर दें तो रिर्टन और घटकर माइनस 1.63 फीसदी हो जाएगा। यदि 20 अथवा 30 फीसदी इनकम टैक्स स्लैब में हों तो रिर्टन माइनस 2.56 और माइनस 3.49 फीसदी रह जाता है।
आंकड़ेबाजी में बदला रिटर्न
नई पद्धति से अब महंगाई की दर का आकलन उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर किया जा रहा है। इसके अनुसार फिलहाल महंगाई दर 5.2 प्रतिशत है। इस फॉमूर्ले के अनुसार सेविंग पर रिर्टन सकारात्मक हो गया है। सीनियर सिटीजन के मामले में ब्याज दर 8.6 फीसदी है तो महंगाई दर के साथ भी रिटर्न 3.4 फीसदी होगा। यदि बचतकर्ता करदाता हों और 10, 20 या 30 फीसदी के इनकम टैक्स स्लैब में आते हों तो रिटर्न 2.54, 1.68 और 0.82 फीसदी हो जाएगा।
तीन महीने पहले ही घटाईं थीं दरें
मौजूदा पहले
पीपीएफ 8.1 8.7
किसान विकास पत्र 7.8 8.7
पोस्ट ऑफिस सेविंग 04 04
एनएससी 8.1 8.5
एमआईएस 7.8 8.4
सुकन्या समृद्धि 8.6 9.2
सीनियर सिटीजन 8.6 9.3
5 वर्ष की आरडी पर 8.4 फीसदी मिलते थे अब 7.4 फीसदी
3.7 करोड़ पीपीएफ खाताधारक देश में
01 करोड़ निवेशक किसान विकास पत्र में
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