नई दिल्ली। दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप के दोषी विनय शर्मा ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या करने की कोशिश की। विनय ने पहले कुछ दवाईयां फिर तौलिए को गले में बांधकर आत्महत्या करने की कोशिश की। उसे गंभीर हालत में दीन दयाल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वह तिहाड़ के जेल नंबर 8 में बंद था।
हालांकि दोषी के वकील ए पी सिंह ने इसे हत्या की कोशिश बताया है। सिंह ने दावा किया है कि यह आत्महत्या की नहीं बल्कि हत्या की कोशिश है। उन्होंने बताया कि वह दो दिन पहले विनय से मिले थे और उसने जेल प्रशासन द्वारा उत्पीडऩ की शिकायत की थी। उनके अनुसार वह ऐसी मानसिक स्थिति में नहीं था कि आत्महत्या कर सके। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि जो आदमी बीए सेकंड इयर की पढ़ाई कर रहा है, हर परीक्षा में पास होता आया है और जेल में रहते हुए भी बहन की शादी करने की योजना बना रहा है, वह खुदकुशी कैसे कर सकता है। विनय शर्मा ने अन्य तीन दोषियों मुकेश, पवन और अक्षय कुमार सिहं के साथ दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रूख किया था। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के मौत की सजा के फैसले को बरकरार रखते हुए इस मामले को विरल से विरलतम की श्रेणी में रखा था।
इस बीच निर्भया की मां ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दोषियों को उनके कर्मों की सजा मिल रही है। भगवान उन्हें उनके कर्मों की सजा दे रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे देश का कानून इतना ढीला है चाहे जितनी बर्बरता हो जाए, अपनी जगह से टस मस नहीं होता। सच्चाई छिपती नहीं है। हमारी बच्ची को उन लोगों ने मारा है। उनका कर्म ही उनको जीने नहीं देगा। एक अदालत भगवान की होती है, कानून सजा दे ना दे। उसका जो पाप है उसको अंदर से ही मरने पर मजबूर हो जायेगा।
बता दें कि राम सिंह भी तिहाड़ जेल में फांसी लगा चुका था। वह निर्भया केस का मुख्य आरोपी था। वह तिहाड़ जेल के सेल में 11 मार्च 2013 में मृत मिला था। राम सिंह ने कोर्ट में पेशी से ठीक पहले सुबह 5 बजे तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर अपनी जान दे दी थी। सिंह की खुदकुशी के बाद जेल प्रशासन पर कैदियों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े हुए थे। वहीं मामले के किशोर आरोपी को 31 अगस्त 2013 को सुधार गृह में तीन साल रखने की सजा सुनाई गई थी। पिछले वर्ष दिसंबर में वह रिहा हो गया था।
बता दें कि 16 दिसंबर 2012 को हुए निर्भया गैंगरेप मामले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। 23 साल की ट्रेनी फिजियोथेरेपिस्ट अपने दोस्त के साथ फिल्म देखकर लौट रही थी। इस दौरान दोनों एक प्राइवेट बस में बैठे, यहां छह दोषियों ने पहले तो उसे बेरहमी से पीटा और इसके बाद गैंगरेप किया। इसके बाद दोनों को चलती बस से फेंक दिया गया।
पीडि़ता के भीतरी अंगों में गंभीर चोटों के कारण उसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इस घटना के बाद सड़क से लेकर संसद तक मार्च निकाला गया।
राम सिंह की मौत के बाद मामले में बाकी पांच को दोषी पाया। पांच में एक नाबालिग दोषी को छोड़कर बाकी को फांसी की सजा सुनाई गई। नाबालिग दोषी को मौजूदा कानून के तहत तीन साल के लिए बाल सुधार गृह भेजा गया था। उसे बीते साल दिसंबर में रिहा किया गया।