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बैंगलोर

बना रहेगा विप का अस्तित्व

मुख्यमंत्री बोलेपरिषद भंग करने का कोई प्रस्ताव सर

बैंगलोरJul 04, 2015 / 01:07 am

कुमार जीवेन्द्र झा

karnataka cm

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बेलगावी.विधान परिषद का अस्तित्व बना रहेगा। राज्य सरकार के सामने विधान परिषद भंग करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
मुख्यमंत्री सिद्घरामय्या ने शुक्रवार को विधान परिषद के सदस्यों को यह स्पष्टीकरण देकर इस मामले को लेकर उठे विवाद का पटाक्षेप किया। विधान परिषद में सभी दलों के आक्रोशित सदस्यों के सवालों की बौछारों के बीच मुख्यमंत्री ने इस मामले को लेकर सदस्यों का समाधान करने का प्रयास किया।
उधर,विधानसभा में जनता दल (ध) के विधायक एम.टी.कृष्णप्पा ने एक निजी प्रस्ताव के माध्यम से विधान परिषद को एक सफेद हाथी करार देते हुए परिषद को भंग करने की मांग रखी थी। परिषद के सभी राजनीतिक दलों के सदस्यों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ आक्रोश व्यक्त करते हुए इस मामले को लेकर सरकारी रूख स्पष्ट करने की मांग रखी।
इस पर मुख्यमंत्री ने सदन को स्पष्ट किया कि राज्य सरकार के सामने मैसूरु महाराजा नालवडी कृष्णराज वाडेयार के कार्यकाल में वर्ष 1907 में गठित विधान परिषद को भंग करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
शून्यकाल के दौरान भाजपा के सदस्य कैप्टन गणेश कार्णिक ने यह मामला उठाते हुए कहा कि विधान परिषद ने गत 108 वर्षों के इतिहास में गणतंत्र को महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। इसलिए विधानसभा के सदस्य की ओर से विधान परिषद भंग करने के लिए निजी प्रस्ताव लाने का जो प्रयास किया गया है, इस प्रस्ताव का विधान परिषद का हर सदस्य निंदा करता है। उन्होंने कहा कि अमरीका व ब्रिटन जैसे देशों में भी दो सदनों की व्यवस्था आज भी बरकरार है।
उच्च सदन विधानमंडल का अहम हिस्सा
मुख्यमंत्री ने साफ किया कि देश के कई राज्यों में भी विधान परिषद संसदीय प्रणाली का अभिन्न हिस्सा है। कर्नाटक का विधान परिषद पूरे देश के लिए एक मिसाल है। ज्ञानपीठ पुरस्कृत लेखक केवी पुट्टप्पा, डीवी गुंडप्पा, एच. नरसिंहमय्या, डॉ. चंद्रशेखर कम्बार जैसे दिग्गज इस सदन के सदस्य रह चुके हैं। इस सदन में कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर अर्थपूर्ण बहस हुई है। ऐसे श्रेष्ठ सदन की बर्खास्तगी पर विधानसभा में बहस की अनुमति भी नहीं मिलनी चाहिए थी।
सदन में जनता दल (ध) विधायक दल के नेता बसवराज होरट्टी ने भी उनके पार्टी के विधायक एम.टी.कृष्णप्पा के इस निजी प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि इससे पहले भी कई बार विधानसभा में ऐसी मांग को लेकर बहस की गई है। इस व्यवस्था में कोई कमी है तो उसे सुधारा जा सकता है, लेकिन विधान परिषद को भंग करने की मांग का किसी भी हालत में समर्थन नहीं किया जा सकता। इस सदन की विशेषता यह है कि सरकार व प्रशासन को विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों का मार्गदर्शन मिले। इसलिए दिग्गजों को इस सदन में मनोनीत किया जाता है। विधान परिषद के पूर्व सभापति वीरण्णा मत्तीकट्टी ने भी बहस में भाग लेकर विधान परिषद को भंग करने के प्रस्ताव का विरोध जताया।
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