scriptऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में AAP के 20 विधायकों की सदस्यता खतरे में | Office of Profit Case against AAP 20 MLA’s | Patrika News

ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में AAP के 20 विधायकों की सदस्यता खतरे में

locationधारPublished: Jun 24, 2017 06:13:00 pm

Submitted by:

Prashant Jha

दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता खतरे में पड़ गई है। चुनाव आयोग ने पार्टी की इस मामले को रद्द करने की अपील को खारिज कर दिया है। 

AAP

AAP


विधायकों को कोई आर्थिक लाभ नहीं, की दलील खारिज
आप ने यह दलील भी दी थी कि चूंकि इस मामले में विधायकों को कोई आर्थिक लाभ नहीं दिया जा रहा था, इसलिए भी यह मामला ऑफिस ऑफ प्रॉफिट कानून के उल्लंघन के दायरे में नहीं आता। उक्त मामले में शुरुआत में आप के 21 विधायक शामिल थे। लेकिन पार्टी विधायक रहे जनरैल सिंह ने पंजाब में चुनाव लडऩे के समय जनवरी 2017 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस तरह अब इस मामले का प्रभाव 20 वर्तमान विधायकों पर पड़ेगा। इधर पार्टी नेता सौरभा भारद्वाज ने कहा कि पार्टी ने कोई बेईमानी नहीं की है



अब तक क्या हुआ, जानिए पूरा घटनाक्रम
– 13 मार्च 2015 को दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल सरकार ने अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया। 
– 19 जून 2015 को प्रशांत पटेल नाम के वकील ने इन नियुक्तियों को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला बताकर नियुक्तियों का विरोध किया। प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के समक्ष इस मामले को रखा और ऑफिस ऑफ प्रॉफिट कानून का उल्लंघन करने के आरोप में विधायकों की सदस्यता खत्म करने की अपील भी की।

22 जून 2015 को राष्ट्रपति ने इस मामले को चुनाव आयोग के पास भेज दिया
 
8 सितम्बर 2016 को दिल्ली हाई कोर्ट ने संसदीय सचिव पद के मामले सुनवाई करते हुए विधायकों के इस प्रकार के पद पर नियुक्ति को अवैध ठहरा दिया। इस प्रकार आप के विधायक 13 मार्च 2015 की नियुक्ति की तारीफ से 8 सितंबर 2016 यानी हाई कोर्ट द्वारा बर्खास्त होने तक पद पर रहे। 



इधर पूरे मामले पर प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता मनोज तिवारी ने कहा कि आम आदमी पार्टी अपने अंत की ओर बढ़ रहा है। 




 दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद आप ने चुनाव आयोग में अपील की
आप के मुताबिक जब उच्च न्यायालय ने पद पर नियुक्ति को ही अवैध ठहरा कर रद्द कर दिया तो अब उसी मामले में चुनाव आयोग में सुनवाई का क्या तुक रह गया है। आप ने अपील की कि अब इस मामले की सुनवाई रोक दी जाय,जबकि इस मामले में लाभ के पद के गलत इस्तेमाल के कारण विधायकों की सदस्यता पर भी बहस हो रही है। अगर चुनाव आयोग इस मामले की सुनवाई से इनकार कर देता तो विधायकों की सदस्यता बच सकती थी। अब विधायकों की सदस्यता खतरे में पड़ सकती है।

आप ने एक और बड़ा कदम उठाया
केजरीवाल सरकार ने एक कानून बनाया जिसके मुताबिक संसदीय सचिव के पद को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट कानून के दायरे से बाहर रखा गया। लेकिन जब केजरीवाल सरकार ने इस प्रस्ताव के अनुमोदन के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा तब राष्ट्रपति ने इस बिल को पास करने से इनकार कर दिया। 
आप ने क्या कहा
चुनाव आयोग द्वारा मामले को खारिज करने की अपील कैंसल करने के बाद आम आदमी पार्टी ने सधी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी ने कहा है कि इसे सही अर्थों में लिया जाना चाहिए। चुनाव आयोग ने अभी कोई फैसला नहीं दिया है, बल्कि सिर्फ पार्टी के एक अनुरोध को अस्वीकार किया है। पार्टी ने कहा है कि फैसला चाहे जो कुछ भी हो, वे चुनाव आयोग और उच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो