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टॉपर्स घोटाले में फंसी जेडीयू की पूर्व MLA की 10वीं की डिग्री फर्जी!

हलफनामे के मुताबिक, जेडीयू नेता उषा सिंह ने 1971 में 10 साल की उम्र इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी, उनकी ये डिग्री यूपी बोर्ड की है

Jun 14, 2016 / 12:47 pm

Abhishek Tiwari

Bihar Toppers Scam

Bihar Toppers Scam

पटना। बिहार के टॉपर्स घोटाले में रोज-रोज नए खुलासों का दौर जारी है। अब इस मामले में नया खुलासा सामने आया है जिसमें बताया जा रहा है कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद की पत्नी जेडीयू की पूर्व विधायक ऊषा सिन्हा का डिग्री भी फर्जी है। ऊषा सिन्हा ने साल 2010 में बिहार विधानसभा में जो हलफनामा दिया है उसके मुताबिक, उन्होंने 8 साल की उम्र में हाई स्कूल की परीक्षा पास की थी।

यूपी बोर्ड की है उषा की डिग्री
हलफनामे के मुताबिक, जेडीयू नेता उषा सिंह ने 1971 में 10 साल की उम्र इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी। उनकी ये डिग्री यूपी बोर्ड की है। इसके बाद 1973 में 12 साल की उम्र में ग्रेजुएशन पूरा किया और अगले साल बी.एड की परीक्षा भी पास कर ली।

डिग्री के बीच उम्र का अंतर
रिकॉर्ड के मुताबिक, 15 साल की उम्र में ऊषा सिन्हा ने पोस्ट ग्रेजुएशन भी पूरा कर लिया था। साल 2010 में दिए गए हलफनामे के मुताबिक उनकी उम्र 49 साल थी। इसमें उन्होंने अपनी जन्मतिथि में 1961 लिखा था। हलफनामे के मुताबिक, 23 साल की उम्र में उन्होंने मगध यूनिवर्सिटी से पी.एचडी भी पूरी कर ली थी।

खुलासे के बाद से फरार हैं उषा सिन्हा

ऊषा सिन्हा फिलहाल पटना कॉलेज ऑफ कॉमर्स के हिंदी विभाग में कार्यरत हैं। हालांकि बिहार बोर्ड में टॉपर्स को लेकर हुए खुलासे के बाद से ही वह फरार हैं। रैकेट की जांच कर रही एसआईटी को पता चला है कि ऊषा सिन्हा संस्कृत बोर्ड में मेंबर थीं। टॉपर्स घोटाले के आरोपियों ने ऊषा सिन्हा को भी रैकेट में शामिल बताया है। पटना पुलिस ने इस मामले में ऊषा सिन्हा को भी आरोपी बनाया है। साथ ही उनकी गिरफ्तारी की कोशिशें भी तेज कर दी है।

बच्चा राय है इनका खासमखास
पूछताह में ये साफ हुआ कि बच्चा राय, लालकेश्वर प्रसाद और ऊषा सिन्हा का खासमखास था। उसकी पहुंच सिर्फ दफ्तर तक सीमित नहीं थी। वह इनके घर भी आया-जाया करता था। फिलहाल दोनों पति-पत्नी फरार है। पुलिस लगातार उनकी तलाश कर रही है। इनसे पूछताछ के बाद पुलिस और खुलासा होने का दावा कर रही है।

मामले में हुई दो और गिरफ्तारियां
दूसरी तरफ इस मामले में एसआईटी ने कार्रवाई करते हुए दो और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है जिसमें बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के सदस्य संजीव झा और पटना कॉलेज के लेक्चरर अजीत शक्तिमान के नाम शामिल है। पटना के एसएसपी मनु महाराज के अनुसार लेक्चरर अजीत शक्तिमान बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह का दलाल है जिसकी इस घोटाले में महत्वपूर्ण भागीदारी रही है।

बच्चा राय जांच में नहीं कर रहा सहयोग
वहीं दूसरी तरफ पूछताछ में बच्चा राय ने टॉपर घोटाले में शामिल होने से इंकार किया है। उसने पुलिसिया जांच की दिशा को भटकाने की हरसंभव कोशिश की। पुलिस ने उससे जितने भी सवाल किए, उसने कहा कि उसे फंसाने की कोशिश की गई है। पुलिस के सामने उसने हर सवालों के जवाब दिए लेकिन सच कबूल नहीं किया।

एसएसपी ने कहा, बच्चा ने नहीं लिया केन्द्रीय मंत्री का नाम
एसएसपी मनु महाराज ने कहा है कि उनके या उनकी एसआईटी की टीम के सामने बच्चा राय ने किसी केन्द्रीय मंत्री का नाम नहीं लिया। न ही बच्चा ने कोई ऐसी बात बतायी है जिससे पुलिस को केस की गुत्थी सुलझाने में आसानी हो। बच्चा ने पैसों के लेन-देन की बात भी नहीं कबूली है।

लालकेश्वर और बच्चा के बीच बातचीत के पुख्ता साक्ष्य
एसएसपी ने बताया कि पुलिस के पास लालकेश्वर और बच्चा के बीच बातचीत होने को लेकर पुख्ता साक्ष्य हैं। कॉल डिटेल रिकॉर्ड में ये बात सामने आयी है कि बच्चा राय ने लालकेश्वर की पत्नी से भी फोन पर बातचीत की थी।

किसी ने सामान रख दिया होगा
ये पूछे जाने पर कि आपके कॉलेज में इतने सारे कागजात, इंटर परीक्षा की कॉपी और अन्य वैसे दस्तावेज जो सरकारी ऑफिसों में होने चाहिए थे कैसे आ गए ? बच्चा का जवाब था- मुझे नहीं पता, किसी ने फंसाने की नीयत से रख दिया होगा।

पुलिस ने मुझे गिरफ्तार नहीं किया, मैंने सरेंडर किया है
सरेंडर करने के बाद बच्चा राय से जब पत्रकारों ने सवाल जवाब किया तो वह बहुत ही निर्भीकता से जवाब दे रहा था। बच्चा ने कहा कि पुलिस ये सोच कर खुश हो रही है कि मुझे गिरफ्तार कर लिया। बच्चा ने कहा कि मैंने सरेंडर किया है पुलिस में इतना ताकत कहा कि वह मुझे गिरफ्तार कर सके। आपको बता दें कि जिस कॉलेज के टॉपर्स है उस बीआर कॉलेज का प्रिंसिपल बच्चा राय ही है।

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