जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने आज आतंकवाद के खिलाफ प्रस्ताव परित करते हुए कहा कि यहां आतंकवाद के लिए कोई स्थान नहीं है
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने आज आतंकवाद के खिलाफ प्रस्ताव परित करते हुए कहा कि यहां आतंकवाद के लिए कोई स्थान नहीं है। राज्य में विभिन्न धर्म और जाति के लोग रहते है। विधानसभा में विपक्ष के नेता उमर अब्दुल्ला ने इस प्रस्ताव का सुझाव दिया, जिसका समर्थन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने भी किया। बाद में विधानसभा ने भी इस प्रस्ताव को पारित कर दिया।
विधानसभा में भिड़ गए थे दो विधायक
प्रश्नकाल के बाद मुख्यमंत्री ने विधानसभा में राज्य में निजी सुरक्षा एजेंसियों के संचालन के विनियमन के लिए एक विधेयक पेश किया, जिस पर विधानसभा के अध्यक्ष कविंदर गुप्ता इस विषय पर बोलने के लिए अब्दुल्ला का नाम लिया। नेशनल कांफ्रेस (एनसी) के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि विधानसभा में जिस तरह से दो विधायक आपस में भिड़ गए, उसकी चर्चा आज पूरी दुनिया में हो रही है और इससे राज्य की बदनामी हुई है।
सांप्रदायिक सद्भाव के लिए जाना जाता है जम्मू-कश्मीर
उन्होंने कहा कि जब पूरा उपमहाद्वीप दंगे की आग में झुलस रहा था, तब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने आपसी सैहार्द के लिए कश्मीर में उम्मीद की किरण देखी थी। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर को सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे के लिए जाना जाता है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत शेख मोहम्मद के समय लोगों ने हिंदू-मुस्लिम-सिख इत्तेहाद जिंदाबाद के नारे दिए थे।
अब्दुल्ला ने राज्य में हाल भी हुई घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य में अलग-अलग धर्मो के लोग रहते है और हम एक दूसरे का सम्मान करते है। राज्य में हालात सही नहीं है और कल जम्मू में इंटरनेट सेवा बाधित रहा तो आज उधमपुर में झड़प हुई हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को पारित कर के हमें दुनिया को यह संदेश देना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर के लोग सांप्रदायिक सद्भाव, भाईचारे और सहिष्णुता में विश्वास रखते है। अब्दुल्ला के प्रस्ताव पर जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इस बात से बहुत खुश है की नेता विपक्ष इस बात का समर्थन करते है कि राज्य में नफरत और आतंकवाद के लिए कोई जगह नहीं है।