मोदी की बिहार में लगातार चुनावी सभा करने पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री प्रखंड मुख्यालयों तक में अब चुनावी सभा कर रहे हैं। ऎसे में लगता है कि अगले वर्ष बिहार में होने वाले पंचायती राज चुनाव में भी वे चुनाव प्रचार करने आएंगे।
नीतीश ने कहा कि बिहार अकेले दम पर विकस के रास्ते पर आगे बढ़ा है और अगर फिर सेवा का मौका मिला तो बिहार को और आगे ले जाएंगे। बिहार के लोग गुजरात जैसा विकास मॉडल नहीं चाहते, जहां महिलाएं कुपोषण की शिकार हैं।
दाल की महंगाई का मुद्दा उठाते हुए नीतीश ने कहा कि विदेश से दाल आयात नहीं हुआ, इसी कारण आज गरीब की थाली से दाल गायब है। उन्होंने कहा कि पहले बिहार के लोग भात (चावल), दाल और तरकारी (सब्जी) खाते थे, लेकिन अब दाल थाली से गायब है। क्या यही “अच्छे दिन” आए हैं?
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