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बिना पढ़े सीवर- शौचालय सफाई और कुत्ते, बिल्ली को गले लगाने के बदले फ्री वाई-फाई यूज कर रहे लोग

यदि ‘उपयोग की शर्तें’ अधिक सरल, पठनीय तरीके से प्रस्तुत की जाएं तो प्रत्येक व्यक्ति को फ्री वाई-फाई की सेवा बेहतर तरीके से दी जा सकती है। 

Jul 21, 2017 / 01:25 pm

shachindra श्रीवास्तव

Free Wi-Fi

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नई दिल्ली। सामाजिक कार्यकर्ता इंटरनेट और वाई-फाई के उपयोग के मामलों में उपभोक्ताओं की जागरूकता के मुद्दे को लगभग एक दशक से उठा रहे हैं। पृष्ठों के उपयोग के नियमों और शर्तों को बिना पढ़े अधिकांश उपयोगकर्ता केवल स्वीकारने के चिह्न पर क्लिक करते हैं और फ्री में मिल रहे इंटरनेट का प्रयोग करने के लिए आगे बढ़ जाते हैं। हालांकि गूगल और फेसबुक जैसी वैश्विक कंपनियां अपने नियम और शर्तें अधिकतर उस देश की भाषा में और जन सामान्य की समझ के लिए आसान भाषा में नहीं उपलब्ध कराती हैं, जिसके कारण उपभोक्ता इन्हें पढ़ने से बचने को आतुर रहता है। 


22 हजार से अधिक लोग सीवर, शौचालय साफ करने को तैयार
ब्रिटेन आधारित एक वाई-फाई कंपनी पर्पल ने बताया कि फ्री वाई-फाई प्रयोग करने के लिए 22 हजार से अधिक लोग सार्वजनिक सेवा के काम करने को तैयार हैं। इन लोगों ने बिना पढ़े नियम और शर्तों को स्वीकार करके वाई-फाई का प्रयोग किया। बिना पढ़े इन लोगों ने सीवर के ब्लॉकेज, सचल योग्य शौचालय, गलियों से च्यूइंग गम को साफ करने के साथ ही गलियों की बिल्लियों और कुत्तों को गले लगाने तक की शर्तें स्वीकार की हैं। 


केवल एक व्यक्ति ने पढ़ी नियम और शर्तें
कंपनी का कहना है कि उसका इरादा लोगों से ऐसे कार्यों को पूरा कराना नहीं है। हमने केवल यह जांचने के लिए एक प्रयोग किया कि उपयोगकर्ता फ्री वाई-फाई प्रयोग करने के लिए नियमों और शर्तों को पढ़कर स्वीकार कर रहे हैं या बिना पढ़े स्वीकार कर रहे हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि 22 हजार लोगों में से केवल एक व्यक्ति ने इस नियमों और शर्तों को पढ़कर इस विसंगति को पकड़ा। अच्छे से प्रिंट के दस्तावेज को छोड़कर गूगल और फेसबुक जैसी अधिकतर सेवाओं में उपयोगकर्ता के डेटा से जुड़ी नियम और शर्तें ऐसी ही रहती हैं। उपयोगकर्ता बिना नियमों और शर्तों को पढ़े और जांचे इन्हें स्वीकार कर लेते हैं और आसानी से अपने फोल्डर, कॉन्टैक्ट्स और पिक्चर जैसे डेटा कंपनियों को प्रयोग करने देते हैं।


छोटे शोध प्रबंध जैसी कठिन होती हैं नियम और शर्तें 
इस मामले का एक पक्ष तो यह है कि उपभोक्ता अनिच्छा से नियमों और शर्तों को नहीं पढ़ता है तो दूसरा पक्ष कंपनियों से जुड़ा है जो अधिक महत्वपूर्ण है कि नियम और शर्तें इतनी कठिन दुरूह सूत्रों वाली भाषा (फ्रेज) के रूप होती है। साथ ही नियमों और शर्तों का पुलिंदा इतना लंबा होता है कि यह एक छोटे डॉक्टोरल शोध प्रबंध जैसी हो जाती है। 


न्याय के मामले में एक नए क्षेत्र जैसा है
डेटा प्राइवेसी से जुड़ा यह विषय बहुत सामान्य हो चला है और यह न्याय के मामले में एक नए क्षेत्र जैसा है। कानूनन कंपनियां उपयोगकर्ता के डेटा का अपने लिए प्रयोग नहीं कर सकती हैं। अगली बार आप नियमों और शर्तों को तुरंत स्वीकार कर समय बचाने की गलती न करें क्योंकि हो सकता है कि इससे आपको कुछ ऐसे काम करने पड़ जाएं जो आप कभी भी करना नहीं चाहेंगे।

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