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मोदी पाकिस्तान संग शांति के इच्छुक नहीं: किश्वर नाहीद

पाकिस्तान की मशहूर कवयित्री किश्वर नाहीद का मानना
है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत तथा पाकिस्तान के बीच शांति बनाए रखने
के प्रति इच्छुक नहीं हैं

Dec 01, 2015 / 11:46 am

सुनील शर्मा

kishwar naheed

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नई दिल्ली। पाकिस्तान की मशहूर कवयित्री और सामाजिक कार्यकर्ता किश्वर नाहीद का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत और पाकिस्तान के बीच शांति बनाए रखने के प्रति इच्छुक नहीं हैं। किश्वर यहां अंतर्राष्ट्रीय मुशायरे जश्न-ए-अदब में हिस्सा लेने आई हुई हैं।

उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘यह साफ है कि शरीफ (पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ) शांति चाहते हैं। लेकिन, मोदी नहीं चाहते। शरीफ ने मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लिया था लेकिन उसके बाद कुछ नहीं हुआ। अगर आप नेकनीयत नहीं हैं तो फिर देशों को घूमने और समझौतों पर दस्तखत करने से कोई ठोस नतीजा नहीं निकलेगा।’

किश्वर ने कहा कि मोदी कई तरीकों से पाकिस्तान को उकसाने की कोशिश कर रहे हैं। दक्षिण एशिया में शांति के लिए काम करने वाली किश्वर ने पूछा, ‘मोदी शिवसेना पर लगाम क्यों नहीं लगाते?’

उन्होंने कहा कि मीडिया में नजर आने वाली शत्रुता का जवाब केवल दोनों देशों के आम लोगों के एक-दूसरे से मिलने में छिपा हुआ है। उन्होंने कहा कि मुशायरे जैसे आयोजन इस खाई को काफी हद तक भर सकते हैं। किश्वर ने असहिष्णुता के मुद्दे पर भारतीय लेखकों और कलाकारों द्वारा पुरस्कार लौटाने का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन दोनों देशों के लिए फायदेमंद साबित होगा।

दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संघ (दक्षेस) के लेखकों के मंच में खास भूमिका निभाने वाली किश्वर ने कहा, ‘मैंने अशोक वाजपेयी और नयनतारा सहगल को उसी दिन बधाई दी थी जिस दिन इन्होंने पुरस्कार लौटाए थे। मैं पुरस्कार वापसी का बतौर पाकिस्तानी नहीं, बल्कि दोनों देशों में शांति चाहने वाली के रूप में स्वागत कर रही हूं।’

किश्वर ने राजस्थान सरकार द्वारा उर्दू लेखिका इस्मत चुगताई के साहित्य को पाठ्यक्रम से हटाने के फैसले पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि ‘मौजूदा सरकार के तहत भारतीय समाज पीछे जा रहा है।’ उन्होंने अभिनेता शाहरुख खान और आमिर खान का उनके विचारों की वजह से होने वाले विरोध को गलत बताया।

किश्वर नहीं मानतीं कि भारत में मुसलमान खतरे में जिंदगी जी रहे हैं। धर्म और महिला अधिकार के मामले में तानाशाह जिया उल हक के खिलाफ खड़ी होने वाली किश्वर पहली महिला लेखिका थीं। अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैंने अपने विचार की बड़ी कीमत चुकाई है। मुझे फ्रेंच लेखिका सिमोन द बुआर की किताब सेकेंड सेक्स का अनुवाद करने की वजह से रात जेल में बितानी पड़ी थी। इस किताब को अश्लील बताते हुए प्रतिबंधित किया गया था।’

1949 में भारत के बुलंदशहर से पाकिस्तान के लाहौर जाकर बसने वाली किश्वर ने कहा कि कट्टरतावाद और मदरसे पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उनके दोनों बच्चों को मौत के डर से पाकिस्तान छोडऩा पड़ा था।


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