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जांजगीर चंपा

आरक्षकों के कब्जे से हथकड़ी निकाल कर भाग गया बंदी, अब खोजने निकले एक दर्जन पुलिस

पामगढ़ कोर्ट से एक प्रधान आरक्षक व दो आरक्षकों के कब्जे से हथकड़ी निकाल
विचाराधीन बंदी फरार हो गया। घटना के बाद से कोर्ट परिसर में अफरा-तफरी का
आलम रहा।

जांजगीर चंपाJul 20, 2017 / 12:19 pm

Piyushkant Chaturvedi

Prisoners escaped from occupiers custody

Prisoners escaped from occupiers custody

जांजगीर-पामगढ़. पामगढ़ कोर्ट से एक प्रधान आरक्षक व दो आरक्षकों के कब्जे से हथकड़ी निकाल विचाराधीन बंदी फरार हो गया। घटना के बाद से कोर्ट परिसर में अफरा-तफरी का आलम रहा। घटना के बाद पामगढ़ थाने के एक दर्जन पुलिसकर्मी फरार बंदी को खोजने निकली है, लेकिन पांच घंटे मशक्कत के बाद भी बंदी का पता नहीं चला।

पुलिस के अनुसार बुधवार दोपहर साढ़े तीन बजे बोरसी निवासी धान चोरी का आरोपी दीपक चंद्रमा पिता चंदन सिंह तीन माह पहले जेवरा में धान चोरी का आरोपी था। वह जेल में बंद में था। बुधवार को उसकी पामगढ़ कोर्ट में पेशी थी। पेशी के लिए पुलिस लाइन के प्रधान आरक्षक बेनी प्रसाद खांडे, आरक्षक उमाकांत खूंटे व गिरदेव सिंह पेशी के लिए पामगढ़ कोर्ट ले गए थे। बंदी को हथकड़ी लगी हुई थी।

पुलिसकर्मी अपनी बातों में मशगूल थे। इधर बंदी अपने हाथ से हथकड़ी निकालने में लगा रहा। पतले हाथ की वजह से वह हथकड़ी को सरका कर एक प्रधान आरक्षक समेत दो आरक्षकों को चमका देकर कोर्ट परिसर से भाग निकला। घटना की जानकारी मिलते ही कोर्ट परिसर में अफरा-तफरी का माहौल हो गया। पामगढ़ टीआई विवेक पाटले मौके पर पहुंचे और फरार बंदी को खोजने पूरा समय बिताया इसके बाद भी वह मिला नहीं। वहीं प्रधान आरक्षक व आरक्षक भी अब तक बंदी को खोजने के लिए लगे हुए हैं। अब तक थाने में रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई है।

बड़ी मुश्किल से गिरफ्तार हुआ था शातिर- पामगढ़ टीआई विवेक पाटले ने बताया कि धान चोरी मामले में दो आरोपी थे। एक दीपक चंद्रमा व प्रकाश टंडन था। प्रकाश टंडन तो छूट गया। वहीं दीपक चंद्रमा अभी भी जेल में था। वह बेहद शातिर बदमाश था। चोरी के आरोप में उसे ढूंढने के लिए पुलिस को तीन माह तक कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी। बताया जा रहा है कि उसके मुखबिर कोर्ट परिसर में मंडरा रहे थे। जैसे ही वह कोर्ट से भागा उसे भगाने के लिए दो तीन लोगों का हाथ है। जो उसे गाड़ी में बिठाकर ले गए हैं।

पखवाड़े भर में दूसरी घटना- पखवाड़े भर के भीतर बंदी के फरार होने का दूसरा मामला है। पखवाड़े भर पहले जिला अस्पताल से एक बंदी फरार हो गया था। उसे जेल के प्रहरी ने ही उसके घर से खोज निकाला था। वहीं दूसरे मामले में पामगढ़ कोर्ट से बंदी फरार हुआ है। लगातार दो मामले सामने आने के बाद यह कयास लगाया जा रहा है कि आखिर बंदी की देख-रेख करने में पुलिस कर्मी या प्रहरी कहीं न कहीं लापरवाही बरतते हैं। यही वजह है कि बंदी पुलिसकर्मियों को चकमा देकर आसानी से भाग निकलते हैं।

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