रेप पीडिता ने कहा, मेरे बच्चे को गोद दे देना, मैं क्या मुंह दिखाऊंगी
बाराबंकी की एक किशोरी के साथ फरवरी में गांव के ही एक किशोर ने रेप किया था, जिससे वह गर्भवती हो गई
लखनऊ। बाराबंकी की एक किशोरी के साथ फरवरी में गांव के ही एक किशोर ने रेप किया था, जिससे वह गर्भवती हो गई। गर्भपात करवाने में देरी के कारण पीडिता को अनचाहे बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। रेप पीडिता ने कहा, मेरे दो बहनें और एक भाई है। आखिर मैं बच्चे को लेकर समाज में क्या मुंह दिखाऊंगी। बेहतर होगा बच्चा पैदा होने के बाद किसी को गोद दे दिया जाए। बाराबंकी की रेप पीडिता की इस अपील पर सुनवाई पूरी करते हुए कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है। ऎसे में हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच उस बच्चे के हक का निर्धारण करने जा रही है जो कि न तो जायज शादी के फलस्वरूप जन्म लेने जा रहा है और न ही उसके मां-बाप के बीच लिव-इन रिलेशनशिप रहा है।
मामले की सुनवाई जस्टिस शबीहुल हसनैन व जस्टिस डीके उपाध्याय की बेंच कर रही है। बेंच ने कहा कि सरकार किशोरी की सुरक्षा करने में असफल हो गई। इस कारण अब सरकार की जिम्मेदारी पीडिता और उसके अजन्मे बच्चे के प्रति कहीं बढ़ गई है। कोर्ट के सहयोग के गठित वरिष्ठ वकीलों के पैनल ने शुक्रवार को कहा कि बच्चे की कस्टडी को लेकर मौजूदा कानूनी प्रावधानों के तहत सरकारी एजेंसियां उसे जरू रतमंद माता-पिता को गोद दे सकती हैं। साथ ही नाबालिग मां के पुनर्वास के लिए सरकार से उसे मुआवजा दिलाया जा सकता है। इस बीच सरकार की ओर से कहा गया कि नाबालिग मां को तीन लाख रूपए बतौर मुआवजा दिया गया है।
दो-तीन हफ्ते में पैदा होने बच्चा कल इस देश का नागरिक होगा। संविधान का अनुच्छेद 21 हर नागरिक को गौरवपूर्ण जीवन जीने का हक देता है। कोर्ट को अपने फैसले में देखना है कि बच्चे की स्थिति क्या हो, जिसे उसके बायोलॉजिकल पिता और माता ने तिरस्कृत कर दिया हो। क्या ऎसा बच्चा समाज में वैध है। समाज को इस बच्चे के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए और क्या उस बच्चे को अपने बायेालॉजिकल पिता की संपत्ति में हक मिलना चाहिए। बाराबंकी की रेप पीडिता बच्चे को जन्म तो देगी पर उसे साथ नहीं रखना चाहती।
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