स्टार्टअप सहास कचरे से पैदा कर रहा है रोजगार
Published: Jul 28, 2017 01:04:00 pm
एलेन मैकआर्थर फाउंडेशन का अनुमान है कि इसे लागू कर भारत 2050 तक सालाना २१ हजार अरब रुपए बचा सकता है।
sahas generate employment from waste
वर्तमान में एक इंसान अपने जीवनकाल में औसतन 11 टन कचरा पैदा करता है और वह जितना कचरा पैदा करता है, उनमें से 90% संसाधनों में बदला जा सकता है। लेकिन हम उसके अनुकूल तकनीक का इस्तेमाल नहीं करते। कचरे के निस्तारण के लिए ज्यादातर पुराने सिस्टम को ही अपनाया जाता है, जिसके तहत कचरे को ट्रकों में भर कर शहर के बाद कूड़ा डंप करने की जगह पर डाल दिया जाता है। लेकिन यह वेस्ट स्टार्टअप कचरे को व्यस्थित करने के लिए प्रकृति, इंसान और तकनीक का एकीकृत इस्तेमाल करता है।
कचरा भी उपयोगी
इस स्टार्टअप के संस्थापक विल्मा रोड्रिग्ज के हवाले से फॉब्र्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि सर्कुलर इकॉनोमी इसका केंद्र बिंदु है। रोड्रिग्ज का कहना है, हम अपने क्लाइंट्स को सही इंफ्रास्टक्चर मुहैया कराते हैं और कचरे का सही निस्तारण करने के लिए उन्हें समुचित प्रशिक्षण मुहैया कराते हैं। संबंधित रीसाइकिलिंग इंडस्ट्री तक कचरे को भेजने से पहले अपने स्तर से हम उसमें से जरूरी चीजें निकालते हैं। रोड्रिग्ज कहती हैं कि तेल व अनाज की तरह कचरा भी उपयोगी वस्तु है। इस ओर जागरुकता बढ़ाने से कंपोस्ट, बेहतरीन कार्ड बोर्ड, छतों की शीट्स व चिप बोर्ड जैसे रीसाइकिल उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं। आर्किटेक्ट्स और रीयल इस्टेट डेवलपर्स सस्टेनेबल बिल्डिंग मैटेरियल के रूप में ऐसे उत्पाद की खोज करते हैं।