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वैंकेया नायडू ने कहा, हां है थोड़ी सी असहनशीलता

Published: Dec 01, 2015 08:43:00 am

मंत्री ने हालांकि कहा कि निपटने के बजाय इस मुद्दे को हवा दिया जा रहा है और भारत की किरकिरी कराई जा रही है।

Venkaiah Naidu, Congress, BJP

Venkaiah Naidu in a press conference

नई दिल्ली। संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने राज्यसभा में सोमवार को स्वीकार किया कि समाज में थोड़ी बहुत असहिष्णुता है, जिसे उसी स्थान तक सीमित करने और उससे कड़ाई से निपटने की जरूरत है। मंत्री ने हालांकि कहा कि निपटने के बजाय इस मुद्दे को हवा दिया जा रहा है और भारत की किरकिरी कराई जा रही है। भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती को लेकर ‘संविधान के प्रति प्रतिबद्धता’ पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए उन्होंने कहाकि विभिन्न इलाकों में समाज में थोड़ी-बहुत असहिष्णुता है, जिसकी पहचान करनी है, उसे उसी जगह तक सीमित रखना है और उसके साथ कड़ाई से पेश आना है। ऐसा करने के बदले हम उसे और तूल देने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे भारत की किरकिरी हो रही है और यह राष्ट्रहित में ठीक नहीं। 

नायडू ने कहा, ‘सदन में जब असहिष्णुता पर चर्चा होगी अन्य वरिष्ठ सदस्य इसे ध्यान में रखेंगे। मैं केवल उनसे अपील कर रहा हूं। चलिए, हम एक दूसरे के साथ सहिष्णु हों और तभी हम लोगों के जनादेश के साथ सहिष्णु होंगे। मेरे अनुसार, सबसे बड़ी सहिष्णुता संविधान का आदर लोगों के जनादेश का आदर है। इसका एक महत्वपूर्ण पहलू लोगों के जनादेश का आदर करना है। अन्य लोगों की आस्था का आदर करना है। नायडू ने कहा कि विभिन्न सरकारों में असहिष्णुता की घटनाएं घटती रही हैं और यह ऐसा नहीं है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही ऐसी घटनाएं हुई हैं। ये सारी चीजें नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद रातोंरात नहीं हुईं। देश के विभिन्न हिस्सों में ये चीजें होती रही हैं। मैं किसी किसी चीज को उचित साबित करने का प्रयास नहीं कर रहा। दलितों पर अत्याचार क्या इससे पहले नहीं हुआ है?

पुस्तकों और अहसासों पर पाबंदी के लिए हो एक समान नीति नायडू ने कहा कि पुस्तकों पर पाबंदी व अहसासों पर पाबंदी के लिए एक समान नीति होनी चाहिए। यह वक्त सभी लोगों के सोचने का है कि संविधान के जनक की उम्मीदों पर हम कितने खरे उतरे हैं। यह सभी की जिम्मेदारी है कि वे क्षेत्रीय असंतुलन, धर्म, जाति व पंथ तथा संसद में महिला आरक्षण से संबंधित जनता के मुद्दों का समाधान करें।
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