जब भी पाकिस्तान की हरकतों से रिश्ते तल्ख होते हैं, तो कलाकार और खिलाड़ी पहला निशाना बनते हैं। हमें लडऩा चाहिए अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर और दोनों ओर से जुबानी तीर चलते हैं कला, संस्कृति और खेल के खिलाफ।
पत्रिका न्यूज नेटवर्क। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारतीय मानस में रोष है। इसी रोष को आवाज देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल के कोझिकोड में पाकिस्तान से बेरोजगारी, अशिक्षा, गरीबी आदि मुद्दों पर प्रतिस्पर्धा की बात कही। जब भी पाकिस्तान की हरकतों से रिश्ते तल्ख होते हैं, तो कलाकार और खिलाड़ी पहला निशाना बनते हैं। हमें लडऩा चाहिए अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर और दोनों ओर से जुबानी तीर चलते हैं कला, संस्कृति और खेल के खिलाफ। यह कितना सही है? क्या खेल और कला के क्षेत्र में भी पाकिस्तान से हमारे रिश्ते महज प्रतिस्पर्धा के नहीं हो सकते?
दोनों की है साझी विरासत:
भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों का राष्ट्रीय फल आम है। हैदराबाद हमारे यहां भी है और पाक का भी महत्वपूर्ण शहर है। अन्य कई शहरों के नाम भी दोनों देशों में मिलते हैं। गंगाराम अस्पताल हो, या दयाल सिंह कॉलेज, दोनों ही संस्थान दिल्ली और लाहौर के अहम हिस्से हैं। सड़कों के नामों में भी समानता आम है। दोनों देशों का पहनावा एक ही है। सलवार कमीज और कुर्ता-पायजामा हिंदुस्तानी पहचान है, जो पाकिस्तान और भारत दोनों ही मुल्क की अवाम की पहचान है।
हमले की उठ रही है मांग:
दोनो ही मुल्कों में ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो जंग को एकमात्र विकल्प और हल मानते हैं। दरहकीकत यह ख्याल से ज्यादा कुछ भी नहीं, यह बड़ी आवाम मानती भी है। जंग से मसला हल होना होता तो दोनों मुल्कों के बीच चार युद्ध हो चुके हैं, लेकिन हालात नहीं सुधरे। इजराइल-फिलिस्तीन जैसे वैश्विक उदाहरण बताते हैं कि जंग हल नहीं है।