उदयपुर। जिले के गोगुंदा पंचायत समिति की चोरबावड़ी ग्राम पंचायत को वर्ष 2010 में निर्मल ग्राम पुरस्कार मिला था। तत्कालीन सरपंच ने राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार हासिल किया। हकीकत यह है कि करीब 1200 घरों की आबादी में अब भी 978 शौचालय बनने बाकी हैं। ऑनलाइन देखने पर चोरबावड़ी में महज 95 शौचालय का ही निर्माण होना बताया गया है। इसका खुलासा तब हुआ, जब मौजूदा सरपंच ने शौचालय निर्माण के लिए लाभार्थियों की सूची दे दी।
चोरबावड़ी सरपंच नाहरसिंह देवड़ा ने विकास अधिकारी को भेजे पत्र में स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय निर्माण की स्वीकृति मांगी है। उन्होंने लाभार्थियों की सूची भेजकर स्थिति से अवगत कराया है। विकास अधिकारी अशोक भंडारी ने जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को स्थिति से अवगत कराया। इस संबंध में सीईओ ने ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग को जानकारी भेजी है।
कागजों में सर्वे
जिन पंचायतों को खुले में शौचमुक्त घोषित किया गया, उनकी हकीकत जानने के लिए वर्ष 2012 में बेसलाइन सर्वे किया गया था। जिम्मेदार अधिकारियों ने यह सर्वे भी महज कागजों में कर दिया।
ये हैं निर्मल ग्राम के नियम
-सभी परिवारों के लिए शौचालय उपलब्धता और सभी सदस्यों का उपयोग किया जाना।
-सभी राजकीय व निजी स्कूलों और आंगनबाडिय़ों में शौचालय हो।
-ग्राम सभा से खुले में शौच प्रथा को पूरी तरह से खत्म करने के लिए सहमति संकल्प पारित किया हो।
-गांव की सीमा में खुले में शौच नहीं होता हो।
-खुले में शौच करते पाए जाने पर जुर्माना वसूला जाता हो।
नहीं मिला लाभ
गांव में 978 घरों में अभी शौचालय बनने हैं। निर्मण ग्राम पुरस्कार मिला, तब महज 113 शौचालय बने थे और पुरस्कार हासिल कर लिया। ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिला। नाहरसिंह देवड़ा, सरपंच, चोरबावड़ी
तब अलग थी स्कीम
हमने बीपीएल परिवार के शौचालय निर्माण पर पुरस्कार लिया था। उस समय स्कीम अलग थी, अभी का अभियान अलग है। काम में किसी तरह की मिलावट नहीं हुई है। चेनसिंह, पूर्व सरपंच, चोरबावड़ी
तल्कालीन स्थित का पता नहीं
मेरी जानकारी में आया है। छह साल पहले बने, नहीं बने, क्यों नहीं बने, उस समय क्या स्थिति रही, इसके बारे में कुछ कह पाना संभव नहीं है। अब यह तय किया गया है कि सभी घरों में शौचालय बने। श्रवणकुमार बुनकर, निदेशक, स्वच्छ भारत मिशन
Home / Special / शौचालय बनाए नहीं, ले लिया राष्ट्रपति से पुरस्कार