scriptलेखिका नयनतारा सहगल ने लौटाया साहित्य अकादमी पुरस्कार | Writer Nayantara Sehgal, ex PM Nehru's niece returns Sahitya Akademi award | Patrika News

लेखिका नयनतारा सहगल ने लौटाया साहित्य अकादमी पुरस्कार

Published: Oct 06, 2015 07:09:00 pm

सहगल का आरोप है कि मोदी सरकार देश की
सांस्कृतिक विविधता को कायम रखने में विफल रही है, इसलिए वह यह पुरस्कार लौटा रही
हैं

Nayantara Sehgal

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नई दिल्ली। मशहूर लेख्खिका नयनतारा सहगल ने नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिया है। सहगल का आरोप है कि मोदी सरकार देश की सांस्कृतिक विविधता को कायम रखने में विफल रही है, इसलिए वह यह पुरस्कार लौटा रही हैं। 88 वर्षीय सहगल देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की भांजी हैं। उन्हें यह पुरस्कार 1986 में मिला था।
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उन्होने यह कदम उत्तर प्रदेश के बिसाड़ा गांव में कथित तौर पर गोमांस रख्खने के आरोप में एक मुस्लिम व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या करने के बाद उठाया है। मोहम्मद अखलाक (55) की इस हमले में मौत हो गई थी और उसका बेटा इस हमले में गंभीर रूप से घायल हो गया। इस घटना के बाद देश मे राजनैतिक भूचाल आ गया।
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पुरस्कार लौटाते वक्त उन्होंने एक बयान जारी किया जिसमें घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल खड़े किए हैं। यही नहीं, उन्होने उम्त्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार पर भी सवालिया निशान खड़े किए हैं।
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सहगल ने “अनमेकिंग ऑफ इंडिया” नामक शीर्षक से यह बयान जारी किया है। बयान में उन्होंने उत्तर प्रदेश की घटना के अलावा कर्नाटक के लेखक एम एम कलबुर्गी, महाराष्ट्र के रहने वाले समाजसेवी नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पनसारे की हत्या का भी जिक्र किया है।

सहगल ने कहा कि इन मामलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी हैरान करने वाली है। उन्होंने इन घटनाओं पर एक शब्द तक नहीं बोला है। पूरा देश चाहता है कि प्रधानमंत्री इन मामलों में कुछ बोले क्योंकि हालात लगातार गंभीर होते जा रहे हैं।
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उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व मे हम पीछे जा रहे हैं, हिंदुत्व में सिकुड़ते जा रहे हैं। लोगों में असहिष्णुता बढ़ती जा रही है और भ्बहुत से भारतीय खौफ में जी रहे हैं। उन्होने अपने बयान में भारतीय साहित्य को बढ़ावा देने वाले साहित्य अकादमी की चुप्पी पर भी निशाना साधा है।

उल्लेखनीय है कि 1975-77 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल की भी निंदा की थी। इस दौरान विपक्ष के कई नेताओं को जेल में डाल दियाा गया था।
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