इंदौर. किसी भी फंक्शन के फोटोज को अगर 10 साल भी देखा जाए तो शख्स उस लम्हे को महसूस कर सके यह एक कैंडिड फोटोग्राफर का काम होता है। तस्वीर में रियल इमोशंस को कैद करना आसान नहीं होता। एक कैंडिड फोटोग्राफर को अपना रोल अच्छे से पता होना चाहिए। ये कहना है फेमस फोटोग्राफर नीता शंकर का। मंगलवार को एक होटल में आईपीवीए द्वारा इनर सर्कल वर्कशॉप में वे बोल रही थीं। सेमिनार की अध्यक्षता सोनू गायकवाड़ ने की। संस्था सचिव सतीश जैन ने बताया कि कैंडिड फोटोग्राफी के बढ़ते क्रेज को देखते हुए सेमिनार का आयोजन किया है। इसमें विभिन्न शहरों के 150 से अधिक फोटोग्राफर्स ने हिस्सा लिया।
मिथ्स को किया दूर
नीता बताती हैं कि कैंडिड फोटोग्राफी को लेकर क ई सारे मिथ प्रचलित है, जैसे कैंडिड में एंबियेंट लाइट का ही यूज होता है। पोट्र्रेट सिर्फ दूल्हा-दुल्हन के लिए जाते हैं, हंसते हुए ही फोटो क्लिक करने चाहिए और सिर्फ जूम लैंस का ही यूज होता है। कैंडिड में सबसे ज्यादा जरूरी है कि आपकी फोटो फीलिंग्स को एक्सप्रेस करें।
रिसर्च वर्क है जरूरी
फोटोग्राफी के टिप्स देते हुए उन्होंने बताया कि एक कैंडिड फोटोग्राफर को अच्छा रिसर्चर भी होना चाहिए। जिस शादी या फंक्शन क ा प्रोजेक्ट मिला है उनके रिचुएअल्स के बारे में पता करें, फंक्शंस की डिटेल इंर्फोमेशन रखें। साथ ही फैमिली रिलेशन के बारे में जानकारी आपको अच्छे फोटोज क्लिक करने में मदद करेगी। प्रोजेक्ट हासिल करने के लिए सोशल मीडिया पर खुद को अपडेट करें। सिर्फ ट्रेडिशनल तरीके से काम नहीं किया जा सकता है। कार्यक्रम में दिनेश जगवानी और रूपेश बागड़ी का मार्गदर्शन रहा। आभार सतीश जैन ने माना।