इंदौर. बेटे की चाह में तांत्रिक क्रिया के जरिये पड़ोसी के बेटे की बलि लेने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। घटना गौतमपुरा थाना क्षेत्र के ग्राम गढ़ी बिल्लौद में 9-10 जून की है।
पुलिस ने आरोपित पति और उसकी दो पत्नियों को गिरफ्तार किया है। आरोपित की दो बेटियां हैं। बेटे की चाह में उसने एक के बाद एक तीन शादियां की। पत्नी को तांत्रिक से पता चला कि किसी के पहले बेटे की बलि देने से उसके घर पुत्र का जन्म हो सकता है। इस लालच में तांत्रिक क्रियाएं करते हुए बच्चे को पहले आलपिन गढ़ाई और फिर मुंह दबाकर मार दिया।
10 जून को ग्राम गढ़ी बिल्लौद थाना गौतमपुरा में दो साल के बच्चे यश पिता सुनील उर्फ सुनेर का शव मिला था। बच्चा घर के सामने खेलते हुए गायब हुआ था। पुलिस ने सुनील के घर के पास रहने वाले दिलीप पिता शंकलाल बागरी पर शंका करते हुए कई बार बयान लिए, लेकिन वह गुमराह करता रहा। पुलिस पर परेशान करने के आरोप भी लगाए। डीआईजी हरिनारायणाचारी मिश्रा के मुताबिक, एसपी मनीष अग्रवाल की टीम ने छानबीन के बाद दिलीप व उसकी दो पत्नियों पुष्पाबाई व संतोष बाई को पकड़कर सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने हत्या करना कबूल कर लिया।
तीन शादी के बाद भी बेटा नहीं हुआ तो दिखाया वहशीपन
बेटे की चाह में मासूम की बलि लेने वाले तीनों दरिंदों ने वहशीपन की हदें पार कर दीं। आरोपितों ने बलि लेने के लिए मासूम के चेहरे और गर्दन पर ऑलपिन गड़ाई, फिर उसकी सांसें उखडऩे तक मुंह दबाए रखा।
डीआईजी हरिनारायणाचारी मिश्रा के मुताबिक, आरोपित दिलीप की पहली शादी सज्जनबाई से हुई थी, जिससे उसकी 15 व 13 साल की बेटियां हैं। पत्नी की मौत के बाद आरोपित ने 6 साल पहले पुष्पाबाई से नातरा किया। पुष्पाबाई ने बेटे को जन्म दिया, लेकिन तीन महीने बाद उसकी मौत हो गई। बेटे की चाह में दो साल पहले उसने नागदा जंक्शन की संतोषबाई से नातरा किया। कुछ समय पहले संतोष बाई अपने मायके गई, जहां उसने गांव के गोरधन से पुत्र को लेकर सवाल किए। गोरधन ने संतोषबाई को बताया, अगर वे किसी की पहली संतान के रूप में जन्मे बेटे की तंत्र क्रिया करते हुए बलि देते हैं, तो उनके घर बेटे की प्राप्ति हो सकती है। बलि अमावस्या अथवा पूनम के दिन देना होगी।
करता रहा गुमराह
डीआईजी के मुताबिक, संतोषबाई ने वापस आकर पति दिलीप व सौतन पुष्पाबाई को यह बात बताई। घर के सामने रहने वाले सुनील के पहले बच्चे यश पर इनकी नजर पड़ी। यश उनके घर के सामने ही खेलता था। दोनों पत्नियों ने 9 जून की शाम को बच्चे को अपने घर में बंद कर लिया। उस समय दिलीप बडऩगर गया था। लौटने पर वह गांव के लोगों के साथ बच्चे को ढूंढने का नाटक भी करता रहा। बाद में गांववालों से कहा, सभी अपने घर चले जाओ, बच्चे को ज्यादा ढूंढा तो कहीं अपहरण करने वाले उसे मार न दें। उसकी बात मानकर गांव वाले अपने घर चले गए।