डिसीजन मेकिंग कन्फ्यूजिंग के साथ इंडिपेंडेंट प्रोसेस है। ऐसे में कोशिश करना चाहिए कि हम अपने दायरे से बाहर जाकर डिसीजन लें।
इंदौर। डिसीजन मेकिंग कन्फ्यूजिंग के साथ इंडिपेंडेंट प्रोसेस है। कई बार जॉब या बिजनेस करते हुए डिसीजन लेने में परेशानी आती है, क्योंकि यहां अथॉरिटी का मुद्दा सामने आता है। ऐसे में कोशिश करना चाहिए कि हम अपने दायरे से बाहर जाकर डिसीजन लें।
यह कहना है सीए दीपक मूलचंदानी का। वे इंदौर मैनेजमेंट एसोसिएशन की ओर से फोर्स मोटर्स, पीथमपुर में आयोजित ट्रेनिंग प्रोग्राम में बोल रहे थे। सब्जेक्ट गेटिंग रिजल्ट्स विद्आउट अथॉरिटी था। इस प्रोग्राम में सभी इंडस्ट्री के प्रोफेशनल्स को गेम्स के जरिए डिसीजन मेकिंग की प्रोसेस के बारे में बताया गया। सभी को कार के अलग-अलग टायर में खड़ा कर दिया गया। इसके बाद सभी को कुछ न कुछ चीजें पास की गई। कुछ प्रोफेशनल्स ने आसानी से चीजें उठा ली तो कुछ नहीं उठा सके क्योंकि वे दूर थी। जिनसे चीजें दूर थी, वे दायरा तोड़कर आगे नहीं बढ़े। मूलचंदानी ने कहा, ‘यहां जरूरत है कि दायरा तोड़कर अच्छा काम करने के लिए आगे बढ़ें। ‘
ऐसे बनें डिसीजन मेकर
जूनियर्स को काम करने की फ्रीडम दें।
क्या करना है और क्या चाहते हैं की लिस्ट बनाएं।
ड्रीम के हिसाब से काम करना शुरू कर दें।