दादरी हत्या कांड के बाद गौमांस पर लगे प्रतिबंध और गौ हत्या मामलों पर राष्ट्रीय स्वंय सेवक (आरएसएस) के मुखिया मोहन भागवत ने शनिवार को पहली बार अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अफ्रीका के केन्या में भी गौ हत्या को पाप माना जाता है।
भागवत ने कहा कि अफ्रीकी देश केन्या में गायों और मवेशियों को मारना अपवित्र और पाप माना जाता है। केवल कुछ विषम परिस्थितियों में ही लोग गाय और मवेशियों का खून निकालते है लेकिन वह इस काम को पूरी सावधानी से करते है। खून निकालने के बाद भी लोग गायों का पूरा ख्याल रखते है।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि गोहत्या को केवल समाज में जागरूकता से ही रोका जा सकता है। कानून बनाकर ऐसा कर पाना संभव नहीं है। दुनिया के अन्य भागों में भी इसी तरह की संस्कृतियों और मूल्यों का जिक्र करते हुए भागवत ने कहा कि दुनिया में नैतिक मूल्यों के माध्यम से ही शांति स्थापित किया जा सकता है।
भौतिक समृद्धि कभी भी शांति और खुशी नहीं प्रदान कर सकते हैं। संस्कृति अगर आधाभूत मूल्यों से जुड़ी होती है तो लंबा समय बीत जाने पर भी अप्रभावित रहती है। भागवत ने कहा, ‘विविधताओं और एक दूसरे के मूल्यों का सम्मन करते हुए ही दुनिया भर में एकता के लक्ष्य को पाया जा सकता है।Ó
इस बीच राजनीतिक विशेषज्ञों ने आरएसएस प्रमुख के बयान पर निशाना साधते हुए कहा कि कई देश केन्या से गोमांस का आयात इसलिए नहीं करते क्योकि वहां की गाय मेडकाऊ बीमारी से ग्रसित होती हैं। अभी कुछ दिन पहले ही आरएसएस के मुखपत्र पांचजन्य के एक लेख में कहा गया था कि वेद में गोहत्या करने वालों को मौत की सजा देने की बात कही गई है। गोहत्या हिंदू समाज के लिए बड़ा मुद्दा है।