छेड़छाड़ के मामलों की स्थिति भी यही रही। महिला अपराध में सबसे ज्यादा आंकड़े छेड़छाड़ व दुष्कर्म को लेकर ही दर्ज हुए हैं।
इंदौर. 16 दिसंबर 2012… यही वो दिन था जब दिल्ली में हुई एक घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। निर्भया के चार साल बाद समाज में महिला अपराधों के विरोध में स्वर तो बुलंद होने लगे हैं, लेकिन सुधार की तमाम गुंजाइश बाकी है।
अफसोस इस बात का कि ज्यादा मामलों में अपने ही महिलाओं के दुश्मन बने हुए हैं। महिला अपराध से जुड़े आंकड़े अब भी सोचने पर मजबूर कर रहे हैं।
-
वर्ष 2015 के महिला सेल के आंकड़े बताते हैं कि महिला अपराधों में इंदौर प्रदेश में नंबर वन है। छेड़छाड़, दुष्कर्म के मामले लगातार प्रकाश में आ रहे हैं। 85 प्रतिशत दुष्कर्म के मामलों में पीडि़ता के साथ परिचित ही घटना करते हैं, जबकि इस तरह के 33 प्रतिशत मामलों मेें पीडि़त नाबालिग होती है। 2015 में इंदौर में कुल 1455 महिला संबंधी अपराध दर्ज हुए थे। नवंबर 2016 तक संख्या बढ़कर 2033 हो गई है। वर्ष 2011 में जहां इंदौर जिले में दुष्कर्म के 129 मामले हुए वहीं 2012 में बढ़कर 171 हो गए। 2011 में 32 महिलाओं की हत्या हुई थी। छेड़छाड़ के मामलों की स्थिति भी यही रही। महिला अपराध में सबसे ज्यादा आंकड़े छेड़छाड़ व दुष्कर्म को लेकर ही दर्ज हुए हैं।
वक्त के साथ कुंद होती धारनिर्भया के बाद शुरुआत में जो सक्रियता आई वह कम होती जा रही है। दुष्कर्म के मामलों में त्वरित निराकरण भी हुआ लेकिन समय के साथ लंबित मामलों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है।
-पब में छेड़छाड़ के बाद लड़कियों में ऐसे हुई CAT FIGHTनिर्भया कांड के बाद जब देश में हंगामे की स्थिति बनी थी, लोग सड़क पर आए तो सरकार को भी कानून में बदलाव करना पड़े। सोशल मीडिया पर बदनाम करने, घूरकर देखने अथवा पीछा करने जैसी शिकायत पर भी केस दर्ज करने का प्रावधान हुआ, हेल्पलाइन भी बनी। शुरुआत में इसके फायदे भी नजर आए।
85 प्रतिशत दुष्कर्म मामले में आरोपित परिचित होता है। 33 प्रतिशत मामलों में पीडि़ता 18 से कम उम्र की होती है इसलिए हम स्कूलों में जाकर जागरूक कर रहे हैं।
-आरके श्रीवास्तव, आईजी, महिला सेल