मेडीकल प्रवेश मूल निवासी मामले में प्रक्रिया उलझाी , अवमानना याचिका दायर
मप्र के विद्यार्थियों को प्रवेश देने के मुद्दे पर याचिका खारिज कर चुकी इंदौर हाई कोर्टजबलपुर हाई कोर्ट ने हाल ही में कहा, प्रदेश के ही बच्चों को दिया जाए प्रवेश
इंदौर. निजी मेडीकल कॉलेज में प्रदेश के मूल निवासी विद्यार्थियों को प्रवेश देने का मामला उलझ गया है। एक ही मुद़दे पर इंदौर व जबलपुर की खंडपीठ ने अलग-अलग फैसला दिया है। 48 घंटे पहले जबलपुर हाई कोर्ट ने सोमवार को मूल निवासी होने की अनिवार्यता को सही ठहराते हुए सिर्फ प्रदेश के ही बच्चों को प्रवेश देने के आदेश दिए थे। वहीं 31 अगस्त को इंदौर हाई कोर्ट ने जस्टिस एससी शर्मा व वेद प्रकाश शर्मा की खंडपीठ मूल निवासी की अनिवार्यता की मांग को खारिज कर दिया था। बुधवार को कोर्ट ने इस फैसले की अवमानना का नोटिस जारी करते हुए गुरूवार को डीएमई सहित अफसरों को तबल किया है।
दरअसल, मेडीकल कॉलेजों में प्रवेश के नियमों को लेकर असमंजस की स्थिति बन रही है। कुछ दिन पहले पहली काउंसिलिंग के समय 11 बच्चों की ओर से वायरस याचिका दायर की गई थी। जिसे जस्टिस शर्मा व वेदप्रकाश शर्मा की खंडपीठ खारिज कर चुकी थी। यानी निजी मेडीकल कॉलेजों में प्रदेश से बाहरी बच्चों को भी मेरिट के आधार पर प्रदेश देने का रास्त साफ कर दिया था। इसी बीच इसी मुद़दे को लेकर एक याचिका जबलपुर में पेश की गई। जिस पर सोमवार को मूल निवासी को ही प्रवेश देने के आदेश दिए गए। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इसी आदेश के परिपेक्ष्य में प्रवेश के लिए सूची जारी की, जिसमें मप्र के मूल निवासी होने का प्रमाण था। इस सूची को आधार बनाते हुए बुधवार को हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई। जिसमें कहा गया, आपके आदेश के बावजूद बाहर के विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। यह तो अवमानना हो रही है। कोर्ट ने सभी उपस्थित पक्षो की प्रारंभिक सुनवाई कर मामले को गुरूवार के लिए रखा है। कोर्ट द्वारा अवमानना याचिका में क्या फैसला दिया जाता है, इसके बाद ही अब आगे प्रवेश की कार्रवाई करना होगी।