प्रमोद मिश्रा @ इंदौर. मित्रबंधु नगर का यह घर आज भी एक ठक-ठक से कांपता है। यहीं रहती थी कविता रैना। एक मां, एक पत्नी और बहू। निजी कंपनी के कर्मचारी संजय रैना की पत्नी कविता रैना की जिस तरह से हत्या करने के बाद शव के टुकड़े कर फेंका गया उसने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया।
24 अगस्त 2015 को कविता मित्र बंधु नगर से अपनी बेटी को लेने बस स्टॉप पर गई थी, फिर वहां से वापस नहीं लौटी। वापस लौटा तो गठरी में बंधा उसका शव। विवस्त्र शव को देख अंदाजा लगाया जा सकता था कि कविता की हत्या से पहले भी उसके साथ काफी-कुछ गलत हुआ है। हत्याकांड को 24 अगस्त को एक साल पूरा हुआ। इस मौके पर ‘पत्रिका’ पुलिस जांच की तहों को पाठकों के समक्ष रख रहा है….
जब टुकड़ों में मिले शव को देख सिहर गया था शहर-
मित्रबंधु नगर में रहने वाले निजी कंपनी के कर्मचारी संजय रैना की पत्नी कविता रैना की हत्या के बाद शव को 6 टुकड़े कर फेंक दिया गया। 26 अगस्त 2015 को इस खुलासे ने शहर की जनता को हिलाकर रख दिया। पीडि़त परिवार से पूरे शहर को सहानुभूति हो गई। हर कोई चाहता था पुलिस जल्द से जल्द आरोपित को पकड़ ले। पुलिस की समक्ष कई चुनौतियां थीं। तीन इमली नाले में 6 टुकड़ों में मिला शव, संदिग्ध हालात और जल्द हल करने का दवाब।
घटनास्थल भंवरकुआं थाना क्षेत्र में था। इस थाने के पुलिसकर्मियों के साथ क्राइम ब्रांच, देहात क्षेत्र के थाने और तकनीकी जांच में दक्ष अफसरों की कई टीमों ने डीआईजी और एसएसपी के नेतृत्व में जांच शुरू की। पुलिस शुरुआत से दावा कर रही थी कि आरोपित जल्द गिरफ्त में होगा। जरूरत है तो इंतजार करने व पुलिस पर विश्वास रखने की। आखिरकार 107 दिन बाद आरोपित महेश बैरागी पकड़ा गया। यह वही आरोपी था, जो हत्या के पांच दिन बाद से ही पुलिस की नजर में था।
डीआईजी संतोषकुमार सिंह व एएसपी विनयप्रकाश पॉल की टीम पूरे समय लगी रही, महेश बौरासी पर नजर रखने के साथ ही हर उस व्यक्ति व तथ्य की जांच की जो एक बार भी शंका के दायरे में आया। अफसर भी मानते है कि उनके सेवाकाल में यह ऐसा पहला केस है जिसे सुलझाने के लिए हर उपाय व हथकंडे का इस्तेमाल हुआ। जहां तक सोच जाती है उस बिंदु को जांच में शामिल किया। पुलिस के दायरे से बाहर जाकर जांच की। इसलिए इस रेयर हत्याकांड का पॉवर पाइंट प्रजेंटेशन भी बनाया गया।
पहली बार महिला पंटर का इस्तेमाल
जिस तरह से कविता की हत्या हुई उससे शुरुआत में ही शंका थी कि किसी एकतरफा प्रेमी, अवैध संबंध को लेकर ही हत्या हुई है। पुलिस ने हर उस व्यक्ति के कैरेक्टर को जांचा जो कभी ने कभी रैना परिवार खासकर कविता के संपर्क में रहा। तीन लोगों के चरित्र पर शंका थी। एक करीबी रिश्तेदार, महेश सहित 3 लोगों के लिए महिला पंटर तैनात की। पुलिस के लिए काम करने वाले को पंटर कहां जाता है। रिश्तेदार को प्रेम जाल में उलझाने का प्रयास किया तो वह खुद अफसरों के पास पहुंच गया। दूसरा व्यक्ति भी बच गया, रहा महेश तो वह महिला पंटर के साथ आगे बढ़ता गया और काफी सच्चाई सामने आ गई।
ब्लैकमेलिंग थी महेश की नीयतएएसपी विनयप्रकाश पॉल के मुताबिक, महेश पर शुरुआत से शंका थी। वह 30 अगस्त को उस दुकान से फुटेजहासिल करने गया, जहां संदिग्ध नजर आया था। पकड़ा तो बोला, किसी ने 20 हजार का लालच देकर फुटेज हासिल करने भेजा था। पुलिस का दावा, उनके पास 2 फुटेज हैं, जिसमें महेश का चेहरा साफ नजर आ रहा है, एक फुटेज में वह शव की पोटली लेकर जाता दिख रहा है।
पुलिस का दवा पुख्ता सबूत हैं अब मामला न्यायालय में विचाराधीन है। पुलिस ने घटना के बाद एक दुकान से वीडियो फुटेज मांगते कैमरे में कैद महेश।, डीएनए रिपोर्ट, स्टैंड पर कविता की गाड़ी खड़ी करने के दौरान पहचान के प्रमाण, बॉडी फेंकी, वीडियो लेने गया, सभी जगह महेश की लोकेशन के पुख्ता प्रमाण होने का दावा किया है।
बचाव पक्ष का तर्क पुलिस से मदद नहींमहेश बैरागी की पैरवी करने वाले सीनियर एडवोकेट चम्पालाल यादव का आरोप है, पुलिस जानबूझ कर केस धीमा चला रही है। हमने तो कोर्ट में आवेदन भी दिया है केस जल्द सुनवाई हो। न्यायालय भी लगातार केस की तारीख लगा रह है पर पुलिस गवाहों को पेश ही नहीं करती है।
हत्याकांड एक नजर-24 अगस्त 2015 की दोपहर मित्रबंधु नगर स्थित घर से एक्टिवा पर सवार होकर बेटी को लेने बस स्टॉप के लिए निकली और लौटी ही नहीं।
-25 अगस्त को पति संजय ने बेटा व बेटी यशस्वी के साथ शाम को ही पोस्टर छपवाकर पूरे इलाके में बंटवाए। रिश्तेदार व मोहल्ला वाले भी साथ आए।
-26 अगस्त की शाम तीन इमली ब्रिज के पास नाले में बोरी में लाश मिली। शव के टुकड़े किए गए थे, शिनाख्त कविता के रूप में हुई। हत्या 24 को ही हो गई थी।
-30 अगस्त को फुटेज हासिल करने पहुंचा था महेश बैरागी। यहीं से पुलिस की शंका में फंस गया तभी से शंका।
-18 दिन तक पुलिस ने उज्जैन में डेरा जमाए रखा
-04 दिन तक पुलिस उज्जैन स्थित कविता के मायके में रही
-24 घंटे उन लोगों की निगरानी की, जो शंका के घेरे में थे
-09 दिसंबर को पुलिस ने आरोपी महेश की गिरफ्तारी का खुलासा कर पूरी कहानी सामने रख दी।
-107 दिन में आरोपित पकड़ में आया। मामला न्यायालय में विचाराधीन है।
-35 गवाहों की सूची पुलिस ने कोर्ट में पेश की। अब तक 4-5 के बयान हो चुके हैं।
08 दिन व्यवसायी नजरबंदहत्याकांड की जांच में पता चला रैना परिवार की एक व्यक्ति से व्यावसायिक विवाद था। क्राइम ब्रांच चुपचाप उस व्यवसायी तक पहुंची। 8 दिन तक 24 घंटे उसे फ्लैट में नजरबंद रखा गया।
मां के प्यार को तरसते कविता के दोनों बच्चे
मित्रबंधु नगर में कविता का घर आज भी लोगों की नजरों में है। परिवार को हरदम कविता की यादें परेशान करती हैं। 24 अगस्त 2015 की दोपहर कविता बेटी यशस्वी को लेने के लिए बस स्टॉप के लिए निकली और लौटी ही नहीं। घर में कविता के पति संजय, सांस कांताबाई, बेटा ध्रुव व बेटी यशस्वी रहते हैं। ध्रुव छठी व यशस्वी दूसरी कक्षा में पढ़ रही है।
अब भी परिजन घटना को लेकर सहमे रहते हैं। बेटा ऑटो रिक्शा से स्कूल जाता है, बेटी को पिता व दादी कहीं भी अकेले नहीं जाने देते हैं। सुबह पिता बच्ची को बस स्टॉप छोड़ते हैं, तो शाम को दादी लेकर आती हैं। पति संजय रैना का कहना है कि कविता के जाने से हमारे जीवन में जो कमी आई, वो किसी भी स्थिति में भरी नहीं जा सकती है।
बेटी नहीं समझती माजरा
वो कहते हैं ऐसा कोई दिन नहीं जाता, जब बेटा और बेटी अपनी मां कविता को याद नहीं करते हैं। जैसे-तैसे उन्हें संभालकर जीवन को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहा हूं। पड़ोसी व रिश्तेदार पूरा सहयोग करते हैं लेकिन जब घर में कविता का फोटो देखता हूं तो पूरा दृश्य आंखों के सामने घूम जाता है। बेटा तो फिर भी समझ जाता है लेकिन छोटी बेटी मां से मिलने की जिद पकड़ती है, तो पूरे परिवार की आंखें नम हो जाती हंै। इसका संतोष है कि आरोपित जेल में है। संजय कहते हैं कि आरोपित को जल्द से जल्द व कड़ी से कड़ी सजा मिलना चाहिए ताकि भविष्य में कोई किसी महिला के साथ इस तरह की जघन्य घटना के बारे में सोचे भी नहीं।