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इंदौर

पान का बीड़ा खाकर चुनते हैं पार्टनर, मेले में मिलते हैं दिल

इस बार भी भगोरिया पर्व का शानदार आगाज 16 मार्च से झाबुआ जिले के कुल 36 हाट बाजारों में होगा।

इंदौरFeb 04, 2016 / 10:09 pm

Kamal Singh

मध्यप्रदेश के आदिवासी समुदाय में सालों से भगोरिया पर्व मनाने की प्रथा चली आ रही है। इस बार भी भगोरिया पर्व का शानदार आगाज 16 मार्च से झाबुआ जिले के कुल 36 हाट बाजारों में होगा।

गौरतलब है कि दुनियाभर में 14 फरवरी को मनाए जाने वाले वेलेंटाइन डे का खुमार चढऩे लगा है। लेकिन पश्चिमी मध्यप्रदेश के आदिवासी जोड़े अपने पारंपरिक प्रेम पर्व भगोरिया की विश्व प्रसिद्ध मस्ती में डूबने के लिए दम साधे इंतजार कर रहे हैं। प्रदेश में इस साल प्रमुख भगोरिया हाटों के उत्सव की शुरूआत मार्च में हो रही है। यह सिलसिला हफ्ते भर से अधिक समय तक चलेगा। प्रेम का यह परंपरागत पर्व हिंदुस्तान का दिल कहलाने वाले राज्य मप्र के झाबुआ, धार, खरगोन और बड़वानी जैसे आदिवासी बहुल जिलों में मनाया जाता है। सदियों से मनाए जा रहे भगोरिया के जरिए आदिवासी युवा बेहद अनूठे ढंग से अपने जीवनसाथी चुनते आ रहे हैं।


हर साल टेसू (पलाश) के पेड़ों पर खिलने वाले सिंदूरी फूल पश्चिमी मध्यप्रदेश के आदिवासियों को फागुन के आने की खबर दे देते हैं और वे भगोरिया मनाने के लिये तैयार हो जाते हैं। भगोरिया हाट को आदिवासी युवक-युवतियों का मिलन समारोह कहा जा सकता है।

पान का बीड़ा और इश्क
परंपरा के मुताबिक भगोरिया हाट में आदिवासी युवक, युवती को पान का बीड़ा पेश करके अपने प्रेम का मौन इजहार करता है। युवती के बीड़ा ले लेने का मतलब है कि वह भी युवक को पसंद करती है। इसके बाद यह जोड़ा भगोरिया हाट से भाग जाता है और तब तक घर नहीं लौटता, जब तक दोनों के परिवार उनकी शादी के लिये रजामंद नहीं हो जाते।

युवक-युवतियां आते हैं सज-संवरकर
बताया जाता है कि इस त्यौहार के दौरान समुदाय के नौजवान सदस्यों को अपने जीवनसाथी चुनने की पूरी आज़ादी होती है। यह जीवन और प्रेम का उत्सव है जो संगीत, नृत्य और रंगों के साथ मनाया जाता है। इस दौरान मध्यप्रदेश के आदिवासी इलाकों में कई मेले लगते हैं और हज़ारों की संख्या में नौजवान युवक-युवतियां सज-संवरकर इन मेलों में शिरकत करते हैं। 



पारंपरिक रंगीन कपड़ों में सजे-धजे नौजवान लोगों को इस तरह से मेले में अपने जीवनसाथी को ढूंढ़ते हुए देखना वाकई में एक रोमांचकारी अहसास है। मेले के दौरान कुछ आदिवासी लोग बांसुरी बजाते हैं और अपने-अपने खेल-तमाशे दिखाते हैं। वहीं पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्र मंदल और ढोल की थाप पर नाचते-गाते हैं। भगोरिया के मेले में जब जींस पहने और चश्मे लगाए नौजवान दिखते हैं तो उनमें आधुनिक दुनिया की भी झलक दिखती है।

यहां देखें कब कहां होगा भगोरिया पर्व
Bhagoriya

आदिवासी समाज के उत्साह-उमंग का पर्व भगोरिया उर्फ भोगया दस्तक दे रहा है। झाबुआ जिले के कुल 36 हाट बाजारों में आगामी 16 मार्च से यह पर्व प्रारंभ होगा।

16 मार्च = उमरकोट, मछलिया, करवड, बोरायता, कल्याणपुरा, मदरानी और ढेकल।

17 मार्च = पारा, हरिनगर, सारंगी, समोई और चैनपुरा।

18 मार्च = कालीदेवी, भगोर, बेकल्दा और मांडली।

19 मार्च = मेघनगर, रानापुर, बामनिया, झकनवदा और बलेडी।

20 मार्च = झाबुआ, रायपुरिया, काकनवानी और कनवाड़ा।

21 मार्च = पेटलावद, रंभापुर, मोहनकोट, कुन्दनपुर और रजला। 

22 मार्च = अंधारवड, पिटोल, खरडु, थांदला, तरखेड़ी और बरवेट।
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