सोमवार को भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाती है। यूं तो हर दिन ही भगवान शिव
की अराधना और पूजा-अर्चना की जा सकती है लेकिन सोमवार के दिन उनकी अराधना
करने से उनका आशीर्वाद तो मिलता ही है साथ ही भगवान शिव प्रसन्न होकर सभी
मनोकामनाओं को पूरी कर देते है। अगर भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते हो तो
सोमवार को चंदन और पुष्प अर्पित करें।
- आस्था और विश्वास प्रार्थना करें तो जरूर मिलेगा फलभगवान
शिव शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता माने जाते है। शिव भगवान को काल का भी
काल अर्थात महाकाल कहा जाता है वे, कण-कण में समाए हुए हैं। भगवान शिव सभी
भक्तों की मनोकामना पूरी करते है। अपने संकटों से निजात पाने लिए बस आस्था
और विश्वास की जरूरत होती है। भगवान भोलेनाथ को आंकड़े के पुष्प,
बिल्वपत्र, चंदन, धतुरा इत्यादि प्रिय है, इसलिए भक्तों को इन्हीं
सामग्रियों से पूजा करना चाहिए। यदि ये सामग्री उपलब्ध नहीं हो सकती है तो
सिर्फ चंदन और पीले पुष्प से भी भगवान शिव की पूजा की जा सकती है। पूजा के
साथ यदि शिव महिम्नास्त्रोत या फिर शिव चालीसा का भी पाठ किया जा सकता है।
ये पाठ नहीं हो सके तो ऊं नम: शिवाय का जाप करना भी विशेष फलदायी होता है।
- यहां बताई जा रही शिव मंत्र स्तुतिशास्त्रों में बताई शिव पूजा से जुड़ी बातें उजागर करती हैं कि शिव
भक्ति में मात्र शिव नाम स्मरण ही सारे सांसारिक सुखों को देने वाला है,
विशेष रूप से शास्त्रों में बताए शिव उपासना के विशेष दिनों, तिथि और काल
को तो नहीं चूकना चाहिए। इसी कड़ी में यहां बताई जा रही शिव मंत्र स्तुति,
शिव पूजा व आरती के बाद बोलने से माना जाता है कि इसके प्रभाव से बुरे
वक्त, ग्रहदोष या बुरे सपने जैसी कई परेशानियां दूर होती हैं-
द: स्वप्नदु: शकुन दुर्गतिदौर्मनस्य,
दुर्भिक्षदुर्व्यसन दुस्सहदुर्यशांसि।
उत्पाततापविषभीतिमसद्रहार्ति,
व्याधीश्चनाशयतुमे जगतातमीशः।।
इस
शिव स्तुति का अर्थ है कि संपूर्ण जगत के स्वामी भगवान शिव मेरे सभी बुरे
सपनों, अपशकुन, दुर्गति, मन की बुरी भावनाएं, भूखमरी, बुरी लत, भय, चिंता
और संताप, अशांति और उत्पात, ग्रह दोष और सारी बीमारियों से रक्षा करे,
धार्मिक मान्यता है कि शिव, अपने भक्त के इन सभी सांसारिक दु:खों का नाश और
सुख की कामनाओं को पूरा करते हैं।
ऐसे करें पूजा-अर्चनासुबह स्नान के बाद शिव, पार्वती,
कार्तिकेय, गणेश, नंदी बैल की पूजा करें। पूजा में मुख पूर्व या उत्तर दिशा
की ओर रखें। पूजा के दौरान शिव के पचाक्षरी मंत्र ‘ऊँ नमः शिवाय और गणेश
मंत्र ‘ऊँ गं गंणपते नमो नम:’ बोलकर भी पूजा सामाग्री अर्पित कर सकते हैं।
शिव लिंग पर सफेद फूल, बिल्वपत्र, सफेद वस्त्र और गणेश को सिंदूर, दुर्वा,
गुड़ व पीले वस्त्र चढ़ाएं। सोमवार को शिव पूजा में कच्चा चावल चढ़ाने
का विशेष महत्व है।
- लिंग पूजा का खास महत्वसोमवार में शिव लिंग के साथ देवी पार्वती की पूजा की जाती है। पंडितों के अनुसार शिव लिंग पूजा से
महिलाओं को मनचाहा वर मिलता है। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार सोमवार के
व्रत तीन तरह के होते हैं। सोमवार, सोलह सोमवार और सौम्य प्रदोष। सोमवार
व्रत की विधि सभी व्रतों में समान होती है।
ऐसे करें व्रत का पालनव्रत करने वाले को दिन में एक बार भोजन करना
चाहिए। सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में सोकर उठें। पूरे घर की सफाई कर
स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। गंगा जल या पवित्र जल पूरे घर में छिड़कें।
घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित
करें।
तीसरे पहर से व्रत प्रारंभसोमवार व्रत
सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे पहर तक किया जाता है। शिव पूजा के बाद सोमवार
व्रत की कथा सुननी आवश्यक है। पहले सोमवार को व्रत रखकर श्रद्धालु शिवलिंग
का जलाभिषेक करते हैं। महादेव का विशेष श्रृंगार कर जलाभिषेक किया जाता
है। इसके बाद भगवान को 56 भोग लगाए जाते हैं।
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