scriptनोटबंदी का असर: वाहन उद्योग, बिक्री में 16 साल में सबसे बड़ी कमी | Automobile sells down sixteen year low in December after demonetisation | Patrika News
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नोटबंदी का असर: वाहन उद्योग, बिक्री में 16 साल में सबसे बड़ी कमी

नई दिल्ली. नोटबंदी की मार ने दिसंबर में वाहन उद्योग की कमर तोड़ दी। देश में सभी श्रेणी के वाहनों की कुल बिक्री 18.66 फीसदी घटकर 12,21,929 इकाई रह गई। जबकि 2015 के दिसंबर में यह आंकड़ा 15,02,314 इकाई था। यह दिसंबर 2000 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है, जब बिक्री में लगभग २२ […]

Jan 10, 2017 / 07:38 pm

आलोक कुमार

Automobiles sells

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नई दिल्ली. नोटबंदी की मार ने दिसंबर में वाहन उद्योग की कमर तोड़ दी। देश में सभी श्रेणी के वाहनों की कुल बिक्री 18.66 फीसदी घटकर 12,21,929 इकाई रह गई। जबकि 2015 के दिसंबर में यह आंकड़ा 15,02,314 इकाई था। यह दिसंबर 2000 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है, जब बिक्री में लगभग २२ फीसदी की कमी दर्ज की गई थी। नोटबंदी के कारण २०१६ के नवंबर में भी वाहनों की बिक्री 5.48 फीसदी गिरी थी। गत दिसंबर में स्कूटर, बाइक और कार समेत सभी प्रमुख सेग्मेंट में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई। इस दौरान सिर्फ हल्के वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री में १.१५ फीसदी की ग्रोथ हुई। वाहन निर्माता कंपनियों के संगठन सियाम ने मंगलवार को ये आंकड़े जारी किए। सियाम के महानिदेशक विष्णु माथुर ने कहा कि ऑटो उद्योग पर नोटबंदी की बुरी मार पड़ी है। यदि बजट में अर्थव्यवस्था को गति देने, उपभोग तथा लोगों की व्यय योग्य आय बढ़ाने के उपाय नहीं किए गए तो हम चालू वित्त वर्ष के बिक्री पूर्वानुमान को हासिल नहीं कर पाएंगे।

दोपहिया वाहन की बिक्री 22 फीसदी कम

दिसंबर में दोपहिया वाहनों की बिक्री में अब तक की रिकॉर्ड गिरावट देखी गई। यह 22.04 फीसदी घटकर 9,10,235 इकाई रह गई। सियाम ने वित्त वर्ष 1997-98 से वाहनों की बिक्री के आंकड़े रखने शुरू किए हैं और तब से इतनी बड़ी गिरावट पहले कभी नहीं देखी गई। स्कूटरों की बिक्री में मार्च 2001 के बाद की सबसे बड़ी 26.38 फीसदी की गिरावट रही और यह घटकर 2,84,384 इकाई पर आ गई। मोटरसाइकिलों की बिक्री भी 22.50 फीसदी घटकर 5,61,690 इकाई रह गई, जो दिसंबर 2008 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है।

यात्री कार की बिक्री 8 फीसदी कमी

यात्री कारों की बिक्री में 8.14 कमी आई, जो अप्रैल 2014 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है। यह दिसंबर 2015 की 1,72,671 से घटकर 1,58,817 इकाई रह गई। कारों, उपयोगी वाहनों तथा वैनों समेत यात्री वाहनों की कुल बिक्री में 1.36 फीसदी की कमी दर्ज की गई, जो अक्टूबर 2014 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है।

वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री में अपेक्षाकृत कम गिरावट

वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री में इस दौरान अपेक्षाकृत कम गिरावट देखी गई। मध्यम तथा भारी वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री 12.41 फीसदी घटकर 22,788 इकाई रही। नवंबर में 2016 में इसमें 13.13 फीसदी की गिरावट रही थी। हल्के वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री गत नवंबर में 10.59 फीसदी घटी थी, जो नवंबर में 1.15 फीसदी बढक़र 31,178 इकाई पर पहुंच गई। इस प्रकार इसमें सुधार देखा गया है। दोनों श्रेणियों को मिलाकर वाणिज्यिक वाहनों की कुल बिक्री में 5.06 फीसदी की गिरावट देखी गई, जबकि नवंबर 2016 में इनमें 11.58 फीसदी की गिरावट रही थी। दिसंबर 2016 में तिपहिया वाहनों की बिक्री 36.23 फीसदी कम होकर 29,904 इकाई रह गई।

निर्यात में भी 3.12 फीसदी की कमी

दिसंबर में सभी श्रेणियों के सभी वाहनों को मिलाकर कुल निर्यात भी 3.12 फीसदी घटकर 3,01,295 इकाई रही। यह गिरावट मुख्य रूप से दोपहिया और तिपहिया वाहनों का निर्यात घटने के कारण देखी गई। इनमें क्रमश: 6.71 तथा 39.37 फीसदी गिरावट आई। वाणिज्यिक वाहनों का निर्यात भी 9.66 फीसदी घटा है। हालांकि, यात्री वाहनों का निर्यात 25.59 फीसदी बढ़ा है। इसमें कारों के निर्यात में 26.22 फीसदी तथा उपयोगी वाहनों में 24.28 फीसदी का इजाफा रहा। माथुर ने कहा कि पिछले साल अच्छे मानसून के बाद ग्राहक धारणा मजबूत होने की उम्मीद थी, विशेषकर ग्रामीण इलाकों में – और सितंबर तथा अक्टूबर के महीनों में इसके संकेत भी मिले थे। लेकिन, नोटबंदी के कारण उद्योग को उसका लाभ नहीं मिल पाया।

शहरों से अधिक गांवों पर असर

सियाम के अनुसार, नोटबंदी का असर ग्रामीण इलाकों में शहरी इलाकों के मुकाबले ज्यादा दिखा है। मोटरसाइकिलों तथा छोटी कारों की बिक्री में आई अपेक्षाकृत बड़ी गिरावट इसका प्रमाण है। उन्होंने कहा कि अब उद्योग की नजर बजट पर है, जो वर्तमान परिस्थितियों में काफी महत्वपूर्ण है।

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