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गांवों पर निर्भर करेगी सोने की मांग : डब्ल्यूजीसी

Published: Jul 29, 2015 03:17:00 pm

सोने की
60% मांग ग्रामीण इलाकों से आती है, कुल मांग में 50% शादी-विवाह के
मौकों पर की गई खरीददारी का है

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नई दिल्ली। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) का कहना है कि देश में इस साल सोने की मांग का आंकड़ा बहुत हद तक ग्रामीण खरीददारी पर निर्भर करेगा। भारत में परिषद के प्रबंध निदेशक सोमसुंदरम पी.आर. ने उद्योग संगठन एसोचैम की ओर से बुधवार को आयोजित आठवें अंतर्राष्ट्रीय स्वर्ण सम्मेलन के दौरान कहा कि देश में सोने की 60 प्रतिशत मांग ग्रामीण इलाकों से आती है और कुल मांग में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी शादी-विवाह के मौकों पर की गई खरीददारी का है।

उन्होंने कहा, “शेयर बाजार में अभी अनिश्चितता काफी ज्यादा है। हमें देखना होगा कि ग्रामीण इलाकों में लोग सोने पर कितना भरोसा करते हैं।” उन्होंने कहा कि कमजोर मानसून को लेकर जो आशंका थी वह काफी हद तक समाप्त हो गई है, लेकिन हमें देखना होगा कि इस बार फसल कैसी रहती है। सोमसुंदरम ने कहा कि दीपावली और वैवाहिक मौसम के बाद स्पष्ट हो जाएगा कि इस साल देश में सोने की मांग कितनी रहती है। हालांकि, इस साल अब तक आयात में कमी के बावजूद उन्होंने भरोसा जताया कि इसकी मांग 900 टन के अनुमान तक पहुंच जाएगी।

उल्लेखनीय है कि डब्ल्यूजीसी ने इस साल देश में सोने की मांग 900 से एक हजार टन के बीच रहने का अनुमान जताया है। पिछले साल देश में सोने की मांग 842.7 टन रही थी। कीमतों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अभी वैश्विक स्तर पर इसमें और गिरावट की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि खनन से उत्पादन बढ़ने की एक सीमा है, क्योंकि दुनिया का स्वर्ण भंडार बढ़ नहीं रहा है। पिछली तिमाही में स्वर्ण खनन में सिर्फ एक प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि पुनर्चक्रण में एक-तिहाई की कमी आ गई।

कम उत्पादन से पीली धातु पर बन रहा दबाव संतुलित हो जाएगा तथा कीमतों में और गिरावट नहीं देखी जाएगी। अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी के सोने पर संभावित प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पहले से कुछ भी भविष्यवाणी करना मुश्किल है। जरूरी नहीं है कि इससे सोने के दाम घटें। यह डॉलर, यूरो आदि मुद्राओं पर ब्याज दरों के प्रभाव तथा चीन और भारत के शेयर बाजारों पर इसके असर से भी तय होगा।

सोमसुंदरम ने देश में सोने का पुनर्चक्रण बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि देश की कुल मांग में पुनर्चक्रण की हिस्सेदारी मात्र छह प्रतिशत है। इसे बढ़ाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत और चीन मिलकर दुनिया के 53 प्रतिशत सोने का उपभोग करते हैं, जबकि इसकी कीमत पश्चिमी देशों के बाजारों में तय होती है। इस परंपरा को बदलने की जरूरत है।
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