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चाय बागान मजदूरों के लिए खुशखबरी, सरकार बढ़ाएगी दिहाड़ी

Published: Jan 05, 2016 03:27:00 pm

बागान में काम करने वाले मजदूरों की दिहाड़ी 122.50 रुपये है जबकि अनाज और ईंधन की लकड़ी कै पैसे में मूल्य 109 रुपए है

Tea plantation workers wage

Tea plantation workers wage

उत्तरी बंगाल के चाय बागान में काम करने वाले मजदूरों द्वारा पिछले साल कथित रूप से भूख से मरने की घटना पर केंद्रीय राज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने मजदूरों को दिए जाने वाले अनाज और ईंधन की लकड़ी के स्थान पर उनको पैसा देने का प्रस्ताव रखा है। चाय बागानों के मजदूरों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है।

सीतारमण ने सोमवार को दंगुझार गार्डन के मजदूरों के बात करते हुए यह प्रस्ताव रखा था। यह गार्डन गुडरिक की संपत्ति है। मंत्री के सुझाव पर मजदूर खुश हो गए। उनको उम्मीद है कि इससे उनकी दिहाड़ी बढ़ जाएगी। गुडरिक के एमडी और सीईओ ए.एन.सिंह ने बताया, ‘हमारे चाय बागान के आधे मजदूरों ने मंत्री के प्रस्ताव से सहमति जताई है जबकि बाकी खामोश है। किसी सक्रिय गार्डन में काम करने वाले मेहनती मजदूर चाहते हैं कि उनको समय पर राशन और स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें। सिर्फ आलसी मजदूर ही चाहते हैं कि नकदी के बदले सामान मिले। अभी मजदूरों की दिहाड़ी 122.50 रुपये है जबकि अनाज और ईंधन की लकड़ी कै पैसे में मूल्य 109 रुपए है। कुल मिलाकर 231.50 रुपये हो जाता है। चाय बागानों में 24 ट्रेड यूनियनों के एक महासंघ ने सैद्धांतिक रूप से प्रस्ताव के प्रति सहमति जताई है।

चाय बागान मजदूर यूनियन के प्रवक्त जिया उल आलम ने बताया, ‘चाय बागान के मजदूरों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत खाद्यान्न मिल रहा है। अगर सरकार उनके लिए सब्सिडी वाले एलपीजी सिलिंडर की आपूर्ति का प्रबंध कर देती है तो वे ईंधन की लकड़ी का दावा छोड़ देंगे। हमने केंद्रीय मंत्री से त्रिपक्षीय समझौता करने और पहले बागान प्रबंधन द्वारा सप्लाई किए जा रहे खाद्यान्न और ईंधन की लकड़ी के मूल्य पर फैसला करने का आह्वान किया है।, बोर्ड चेयरमैन संतोष सारंगी ने सीतारमण के प्रस्ताव का स्वागत किया है।

उन्होंने कहा, ‘मंत्री ने कहा है कि जरूरत पडऩे पर कानून में बदलाव किया जाएगा। चाय बोर्ड मजदूरों की आजीविका के साथ-साथ उद्योगों के हित को सुनिश्चित करेगा।

सीतारमण ने संकेत दिया कि केंद्र सरकार के तहत कल्याणकारी स्कीमों को चाय मजदूरों और उनके परिवारों तक भी पहुंचाया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘हमें उसके लिए कदम उठाना होगा। इसको क्रियान्वित करने के लिए केंद्र, राज्य, बागान मालिकों और यूनियनों के बीच सर्वसम्मति जरूरी होगी।
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