इसका मुख्य मकसद रेल कोच की डिकााइन को किस प्रकार से नवान्वेषण पर आधारित, संरक्षा के उपायों से युक्त करने के साथ सुखकर बनाया जा सके, इस पर विचार करना है। इंस्टीट्यूट ऑफ रोलिंग स्टॉक इंजीनियर्स द्वारा रेल कोच आंतरिक साजसज्जा पर आधारित इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन 9-10 अक्टूबर को किया जा रहा है।
हाल ही में चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्टरी से निर्मित 50 हकाारवें एसी-3 श्रेणी के कोच को परिवर्तित डिकााइन के साथ पेश किया गया है। बुकाुर्ग यात्रियों को ऊपर की बर्थ पर चढ़ने के लिए चौड़ी एवं सुविधाजनक सीढ़ी लगाई गई है। आपातकालीन खिड़कियों की संख्या दो की बजाय छह की गई है। कंपार्टमेंट में आने का दरवाजा दोनों तरफ खुलने वाला लगाया गया है।
इस कोच में सीसीटीवी के चार कैमरे चारों दरवाजों पर लगाए गए हैं जो एक सिम के माध्यम से एक कंट्रोल रूम से जुड़े रहेगे। कोई भी गलत काम होते ही सुरक्षा हेल्पलाइन पर एसएमएस चला जाएगा और सुरक्षाकर्मी सक्रिय हो जाएंगे। मगर रेलवे की शक्ल को विश्वस्तरीय बनाने के लिए कटिबद्ध सरकार की पहल पर रेलवे में तकनीकी अनुसंधान, आधुनिकीकरण के लिए रेलवे अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) और राष्ट्रीय डिकााइन संस्थान (एनआईडी) की मदद से रेलवे के कोच के नए डिकााइनों पर शुरू किया गया है।
नए कोच में इन सुविधाओं के साथ सीट कवर के रंग, दीवारों एवं फर्श के रंग भी आकर्षक रखे जाएंगे। सम्मेलन में फ्रांस, जर्मनी, जापान, स्पेन, चीन, अमरीका आदि देशों की डिकााइन कंपनियों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। सम्मेलन में जिन विषयों पर मुख्य रूप से चर्चा होगी, उनमें रेलवे के कोच की नई डिकााइन, सीटें एवं बर्थ का सिस्टम, जगह का अधिकतम इस्तेमाल, दीवारों की पैनलिंग, पार्टीशन एवं छत, अंदरूनी और बाहरी रंगरोगन, फर्श, प्रवेश मार्ग एवं गलियारे, रेलवे कोचों में सीसीटीवी सिस्टम, स्वचालित द्वार प्रणाली, खिड़कियां, कोच में प्रवेश एवं बर्थ पर चढ़ने के लिए सीढ़ी की व्यवस्था, कोचों में संकेत चिह्न, विकलांगों के लिए इंतकााम, वातानुकूलन प्रणाली और पाइपलाइन, आधुनिक प्रकाश व्यवस्था, यात्री सूचना डिस्प्ले सिस्टम, आधुनिक सुविधाओं से युक्त एवं ज्यादा जगह वाले शौचालय, कीट एवं चूहा मारक उपाय, कूड़ादान एवं कचरा प्रबंधन के उपाय, हल्की, सस्ती, टिकाऊ एवं आकर्षक निर्माण सामग्री, आंतरिक शोर एवं धूल आदि रोकने की प्रणाली, लक्कारी कोच डिकााइन, पैंट्री एवं हॉट बुफे कार एवं उपकरण तथा पानी एवं कॉफी वेंडिग मशीन लगाना शामिल हैं।
भारतीय रेलवे में इस समय करीब 62 हकाार यात्री कोच हैं जिनसें लगभग 12 हजार 600 गाड़यिां प्रतिदिन चलतीं हैं और लगभग ढाई करोड़ लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचाती हैं।