गांव की तस्वीर बदलने के लिए इस शख्स ने छोड़ी 37 लाख रु. महीने की नौकरी
Published: Dec 01, 2015 11:43:00 am
आपने स्वदेश फिल्म तो देखी ही होगी, जिसमें शाहरुख खान अपने गांव पहुंचते हैं। नासा की नौकरी छोड़कर वहीं बस जाते हैं। पर्दे की ये कहानी सच में उतर आई है। बिजनौर के जुझेला गांव के निवासी तरुण शेखावत चार साल से जर्मनी में नौकरी कर रहे थे।
बिजनौर। आपने स्वदेश फिल्म तो देखी ही होगी, जिसमें शाहरुख खान अपने गांव पहुंचते हैं। नासा की नौकरी छोड़कर वहीं बस जाते हैं। पर्दे की ये कहानी सच में उतर आई है। बिजनौर के जुझेला गांव के निवासी तरुण शेखावत चार साल से जर्मनी में नौकरी कर रहे थे।
पिछले दिनों वे अपने गांव घूमने आए और यहां सुविधाओं कमी देखकर उनका मन बदल गया। उन्होंने अपने गांव की सूरत बदलने की ठान ली।
तरुण ने गांव के लिए म्यूनिख (जर्मनी) में 4500 यूरो प्रति महीने (लगभग 37 लाख रुपए सालाना) की नौकरी छोड़ दी और अब वह गांव के आगामी प्रधानी के चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे हैं। तरुण का परिवार खेती करता है।तरुण कहते हैं कि केवल गांव का प्रधान ही ईमानदारी से काम करें तो भारत के गांव जर्मनी और बाकी यूरोप के गांवों जितने विकसित हो जाएंगे।
तरुण ने गांव लौटने पर पाया कि यहां बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। मैंने अपनी जॉब छोड़ दी और यहीं रहने का फैसला किया। मैंने नोएडा में कंपनी में नौकरी शुरू की और बीच-बीच में गांव को बदलने के लिए लगातार यहां आता रहा।
फिर कुछ दिनों बाद महसूस किया कि सिस्टम का हिस्सा बने बगैर गांव को बदलना संभव नहीं होगा। अब मैंने पंचायती चुनाव में खड़े होने का फैसला लिया है।
आरटीआई का लिया सहारातरुण अपने गांव में बहुत ही प्रसिद्ध हैं। वह कहते हैं मैंने कई आरटीआई दायर कीं और मैंने पाया कि गांव के प्रधान स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर पैसों का दुरुपयोग कर रहे हैं। अगर मैं प्रधान बनता हूं तो मैं सारे पैसे को ईमानदारी से अपने गांव की सूरत बदलने में लगाऊंगा।
मुझे पूरा यकीन है कि गांव वाले मुझे यह मौका देंगे और मैं उनके लिए वह सारे काम करूंगा, जिनकी मैंने योजना बनाऊंगा।