नारायणन ने कहा कि अदालत के आदेश के मुताबिक किए जाने वाले सभी परीक्षणों में यदि मैगी खरी उतरी, तो कंपनी भारत में इसका फिर से उत्पादन शुरू कर देगी। इसके बाद उत्पाद का फिर से परीक्षण होगा। हालांकि, जहां तक मैगी का सवाल है, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के औचित्य पर कोई सवाल पैदा नहीं होता है।
उन्होंने कहा कि नियामक को मानक तय करने, गुणवत्ता और सुरक्षा की निगरानी करने का अधिकार है। नेस्ले ने मानक को कभी चुनौती नहीं दी है। परीक्षण व्यवस्था के तीन पहलू होते हैं -अवसंरचना, उपकरण और पद्धति और उन लोगों की गुणवत्ता, जो परीक्षण कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि नेस्ले के उत्पाद हमेशा सुरक्षित होते हैं। बंबई उच्च न्यायालय ने 13 अगस्त को मैगी पर लगी पाबंदी हटा दी थी। अदालत ने छह महीने के भीतर मैगी का फिर से परीक्षण करने का भी आदेश दिया था।
इससे पहले पांच जून को एफएसएसएआई ने सीमा से अधिक सीसा और मोनोसोडियम ग्लूटामेट पाए जाने के आरोप में मैगी के बेचने, विपणन करने और भंडारण करने पर प्रतिबंध लगा दिया था। प्रतिबंध को देखते हुए कंपनी ने अपने उत्पाद बाजार से हटा लिए थे।