प्रदेश के करीब 30 हजार से अधिक पंजीकृत वकील किसी भी अदालत में प्रैक्टिस नहीं करते।
राहुल मिश्रा @ जबलपुर। प्रदेश के करीब 30 हजार से अधिक पंजीकृत वकील किसी भी अदालत में प्रैक्टिस नहीं करते। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के मुताबिक व मप्र हाईकोर्ट के निर्देश पर स्टेट बार काउंसिल द्वारा की जा रही वकीलों के लाइसेंस नवीनीकरण प्रक्रिया के अंतिम दौर में यह बात उभर कर आई है। 15 मार्च से शुरू हुई प्रक्रिया की अंतिम तारीख चार बार बढ़ाई जा चुकी है। अब अंतिम 30 सितंबर है और अभी तक पंजीकृत 90 हजार में से 47 हजार वकीलों के ही लायसेंस नवीनीकृत किए गए हैं।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमेन मनन मिश्र ने नॉन प्रैक्टिसनर वकीलों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई थी। कहा था कि देश भर की बार काउंसिलों में पंजीकृत अधिकांश वकील अदालतों में प्रैक्टिस नहीं करते। वे वकील होने का नाजायज फायदा उठाते हैं। बीसीआई ने इसके लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रेक्टिस रूल्स बनाए थे। नियमों के तहत वकील को संबंधित बार काउंसिल से अपने लाइसेंस का नवीनीकरण कराना अनिवार्य कर दिया गया है। नवीनीकरण के लिए शैक्षणिक दस्तावेजों सहित गत पांच वर्ष से लगातार अदालतों में पैरवी का प्रमाण देना जरूरी है।
ये है स्थिति
पंजीकृत वकील 90000
नवीनीकरण 47000
अंतिम तारीख तक 60000
नवीनीकरण की संभावना
ये हैं नॉन प्रेक्टिसनर
बीसीआई ने 12 जनवरी 2015 को राजपत्र में जारी इन रूल्स के तहत कहा है कि बड़ी संख्या में वकीलों ने पंजीयन के बाद वकालत पेशा छोड़ दिया है। ये दूसरे कार्य करने के बावजूद बार एसोसिएशनों के चुनावों में गड़बड़ी फैलाते हैं। इन वकीलों को बीसीआई ने नॉन प्रैक्टिसनर बताते हुए इनका पंजीयन निरस्त करने की सिफारिश की है। 2014 में सुको ने भी नॉन प्रेक्टिसनर वकीलों पर नियंत्रण के निर्देश दिए थे। स्टेट बार काउंसिल के सचिव मुकेश मिश्रा ने बताया कि 30 सितंबर नवीनीकरण की अंतिम तारीख है। इसके बाद लेट फीस के साथ आवेदन स्वीकार किए जाएंगे। नवीनीकरण का आंकड़ा अधिक से अधिक 60 हजार तक जाने की संभावना है।