script बढ़ सकती हैं बिल्डर्स की मुश्किलें, जानिए क्या है कारण | Confusion in stamp duty on large projects crisis | Patrika News
जबलपुर

 बढ़ सकती हैं बिल्डर्स की मुश्किलें, जानिए क्या है कारण

स्टाम्प ड्यूटी में गफलत तो बड़े प्रोजेक्ट पर संकट, जिला पंजीयक ने रजिस्ट्री कार्यालयों को जारी किया आदेश

जबलपुरDec 09, 2016 / 07:44 am

housing loan scheme

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जबलपुर। प्रोजेक्ट की गलत विकास लागत बताकर कम स्टाम्प शुल्क व रजिस्ट्री फीस चुकाने वाले शहर के 70 से अधिक बिल्डर मुश्किल में पड़ सकते हैं। जिला पंजीयक कार्यालय ने एेसे बिल्डर के किसी भी प्रोजेक्ट की रजिस्ट्री नहीं करने का आदेश दिया है। रजिस्ट्री कार्यालयों को दिए आदेश में कहा गया है कि यह रोक तब तक रखी जाए, जब तक शुल्क जमा नहीं किया जाए।

इस सम्बंध में नगर निगम और टीएनसीपी को भी पत्र लिखा गया है। बिल्डर्स को प्लॉटिंग करते समय सड़क, नाली, बिजली और दूसरी बुनियादी सुविधाएं देना जरूरी होता है। इसमें व्यय यानी विकास लागत की जानकारी देनी पड़ती है। इस लागत पर पंजीयन विभाग को एक फीसदी स्टाम्प शुल्क एवं 0.8 प्रतिशत रजिस्ट्री फीस चुकानी पड़ती है। विकास के लिए कुल रकबे का 20 फीसदी हिस्सा बंधक दस्तावेज के रूप में नगर निगम के पास रखना पड़ता है। 

ग्रामीण क्षेत्र में इसे ग्राम पंचायतें करती हैं। यदि कोई बिल्डर कॉलोनी में बुनियादी सुविधाएं मुहैया नहीं कराता, तो बंधक के रूप में रखे गए 20 प्रतिशत हिस्से को बेचकर निगम प्रशासन विकास कराता है। दो साल पहले महालेखाकार पंजीयक ग्वालियर की टीम ने निगम में ऑडिट किया था। इसमें पाया गया कि विकास पर जो व्यय बिल्डरों ने बताया, वह कम था। इसके लिए ऑडिट टीम ने मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड के विकास व्यय को आधार बनाया था। ऑडिट टीम ने पाया कि बोर्ड की लागत से बेहद कम विकास लागत बिल्डर्स ने बताई। इस पर आपत्ति ली गई। क्योंकि, विकास पर प्राक्कलित व्यय पर ही पंजीयन विभाग को रजिस्ट्री फीस एवं स्टाम्प ड्यूटी मिलती है। 

कम लागत बताने से राजस्व भी कम मिला। इस पर पिछले साल पंजीयन विभाग ने नोटिस जारी कर बिल्डर्स को अतिरिक्त शुल्क एवं फीस जमा करने के लिए कहा था। लेकिन, एेसा नहीं किया गया। इसलिए विभाग ने इनकी किसी नए एवं पुरानी प्रोजेक्ट की रजिस्ट्री पर रोक लगा दी है। 

कई नामी बिल्डर्स शामिल
पंजीयन विभाग की सूची में शहर के कई नामी बिल्डर्स शामिल हैं। इनके करोड़ों के प्रोजेक्ट चल रहे हैं, लेकिन लाखों रुपए में स्टाम्प शुल्क व रजिस्ट्री फीस होने के बाद भी वे टालमटोल कर रहे थे। इन सभी की सूची विभाग ने अपने सभी रजिस्ट्री कार्यालयों के पास भेज दी है। 

– कई बिल्डर्स ने प्रोजेक्ट में विकास पर प्राक्कलित व्यय कम बताया था। इससे विभाग को राजस्व का नुकसान हुआ है। पहले नोटिस के माध्यम से अतिरिक्त स्टाम्प शुल्क व रजिस्ट्री फीस जमा करने के लिए कहा था। लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसलिए इनकी कोई भी रजिस्ट्री नहीं की जाएगी। 
प्रभाकर चतुर्वेदी, वरिष्ठ जिला पंजीयक 
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