जबलपुर। सात दिन पहले कटनी-सिंगरौली सेक्शन में पुल टूटने से दुर्घटनाग्रस्त हुई मालगाड़ी ने पश्चिम मध्य रेल प्रशासन की नाक में दम कर दिया है। इस घटना से जहां करोड़ों की चपत लगी, वहीं रेलवे बोर्ड हर दूसरे दिन रिपोर्ट तलब कर रहा है। पमरे जीएम गिरीश पिल्लई भी सुबह-शाम क्लास लगा रहे हैं। शुक्रवार को भी डीआरएम सुधीर कुमार ने अफसरों सहित घटनास्थल पर दस्तक दी।
25 करोड़ की चपत
गुजरात जा रही कोयला भरी 58 डिब्बों वाली मालगाड़ी के दुर्घटनाग्रस्त होने से रेलवे को लगभग 25 करोड़ की चपत लगी है। पुल टूटने से 58 में 34 डिब्बे क्षतिग्रस्त हो गए हैं। अकेले रैक से ही रेलवे को 20 करोड़ की क्षति हुई है। इसके अलावा लगभग एक करोड़ रुपए का कोयला बर्बाद हो गया। तीन दिन तक यातायात ठप रहने, टे्रनें रद्द होने व दूसरे रूट से चलाए जाने से भी भारी नुकसान हुआ। वहीं, रेलवे को रैक बुक करने वाली कंपनी को 40 लाख रुपए भाड़ा वापस करना पड़ेगा।
…तो दो दिन में शुरू हो जाता यातायात
मझौली-देवराग्राम स्टेशन के बीच पथौर नाला पर बने पुल के टूटने से चार नवम्बर को रेल यातायात ठप हो गया था। घटना के बाद मौके पर जीएम गिरीश पिल्लई भी पहुंचे थे। बताया गया कि डिब्बे हटाने पहुंची क्रेन तीन बार खराब हुई। इसके चलते तीसरे दिन यातायात बहाल हो पाया।
जांच में टूटा मिला व्हील
मामले की जांच पमरे मुख्यालय के तीन वरिष्ठ अफसर कर रहे हैं। एसएजी ग्रेड के इन तीनों अफसरों ने मौके का मुआयना कर जांच शुरू कर दी है। रेल सूत्रों ने बताया कि जांच में पुल के नीचे सबसे पहले गिरे डिब्बे का एक व्हील टूटा पाया गया है।
पमरे मुख्यालय के तीन अफसरों की कमेटी जांच कर रही है।
सुरेन्द्र यादव, सीपीआरओ, जबलपुर जोन
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