जबलपुर। भारतीय भोजन पद्धति में सदा से इस बात का ध्यान दिया जाता रहा है कि किस धातु के बर्तन में किस तरह का भोजन किया जाना चाहिए। उन्हें इस बात का अच्छा ज्ञान था कि किस धातु के बर्तन से कौन से तत्व प्राप्त होते हैं और किस धातु से शरीर के लिए हानिकारक तत्व बनते हैं। हम बता रहे हैं आपको कि किस धातु के बर्तन में हमें भोजन करना चाहिए और किस धातु के बर्तन का उपयोग नहीं करना चाहिए।
सोना देता है आंतरिक ताकत
सोना एक गर्म धातु मानी गई है। सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते हैं और साथ साथ आँखों की रोशनी बढ़ती है।
चांदी दूर करती है पित्त,वात और कफ दोष
चांदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है। शरीर को शांत रखती है इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है, आँखेंं स्वस्थ रहती है, आँखों की रोशनी बढ़ती है और इसके अलावा पित्तदोष, कफ और वायुदोष नियंत्रित रहता है।
कांसा से तेज होती है बुद्धि
कांसे के बर्तन में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है और भूख बढाती है। लेकिन काँसे के बर्तन में खट्टी चीजें नहीं परोसनी चाहिए खट्टी चीजें इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती हैं जो नुकसान देती हैं। कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल 3 प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं। कांसे के कटोरा में दूध रोटी खाने का विशेष महत्व है।
तांबा करता है रोगमुक्त
तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है, रक्त शुद्ध होता है, स्मरण-शक्ति अच्छी होती है, लिवर संबंधी समस्या दूर होती है, तांबे का पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है इसलिए इस पात्र में रखा पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है. तांबे के बर्तन में दूध नहीं पीना चाहिए इससे शरीर को नुकसान होता है।
पीतल नष्ट करता है शरीर के कृमि
पीतल के बर्तन में भोजन पकाने और करने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती। पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल 7 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं।
लोहा से बनती है आयरन बॉडी
लोहे के बर्तन में बना भोजन खाने से शरीर की शक्ति बढ़ती है, लौह तत्व व शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व प्राप्त होते हंै। लोहा कई रोग खत्म करता है, पांडू रोग मिटाता है, शरीर में सूजन और पीलापन नहीं आने देता, कामला रोग को खत्म करता है, और पीलिया रोग को दूर रखता है. लेकिन लोहे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें खाना खाने से बुद्धि कम होती है और दिमाग का नाश होता है। लोहे के पात्र में दूध पीना अच्छा होता है।
स्टील से न फायदा न नुकसान
स्टील के बर्तन नुकसान दायक नहीं होते क्योंकि ये ना ही गर्म से क्रिया करते हैं और ना ही अम्ल से. इसलिए नुकसान नहीं होता। इसमें खाना बनाने और खाने से शरीर को कोई फायदा नहीं पहुँचता तो नुकसान भी नहीं पहुँचता।
एलुमिनियम का बर्तन शरीर का दुश्मन
एल्युमिनियम बॉक्साईट से बनता है। इसमें बने खाना से शरीर को सिर्फ नुकसान होता है। यह आयरन और कैल्शियम को सोखता है इसलिए इससे बने पात्र का उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे हड्डियां कमजोर होती हैं. मानसिक बीमारियाँ होती हैं, लिवर और नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंचती है। किडनी फेल होना, टीबी, अस्थमा, दमा, वात रोग, शुगर जैसी गंभीर बीमारियाँ होती हैं। एलुमिनियम के प्रेशर कुकर मेें खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं।
मिट्टी के बर्तन दूर करते हैं हर बीमारी
मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते हैं। मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकाना चाहिए। भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने में समय थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है। दूध और दूध से बने उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त है मिट्टी के बर्तन। मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे 100 प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं। और यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका अलग से खास स्वाद भी आता है।