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जबलपुर

VIDEO में देखें दबंगों ने कैसे की खुलेआम 10 लाख की वसूली

विधायक पुत्र के गुर्गों ने बना लिया खुद का नाका, काटते हैं खुद की पर्ची, प्रतिबंध के बावजूद हो रहा रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन

जबलपुरSep 27, 2016 / 08:00 am

Premshankar Tiwari

illegal mining

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जबलपुर। खनिज विभाग के अफसर कह रहे हैं कि बारिश में नदियों से रेत की निकासी प्रतिबंधित है। इसके परिवहन की जांच के लिए फिलहाल कोई सरकारी नाका भी नहीं है, लेकिन ‘पत्रिका को भेजा गया एक वीडियो खुद अंधेरगर्दी की कहानी कह रहा है।

वीडियो में न केवल नर्मदा से मनमाफिक अवैध रेत निकालती मशीनें दिखाई दे रही हैं, बल्कि इसकी खुलेआम ढुलाई का नजारा भी दिख रहा है। बात यहीं तक सीमित नहीं है, दबंगों ने तो राष्ट्रीय राजमार्ग पर अपना खुद का जांच नाका तक खोल लिया है। 

नाके पर तैनात गुर्गे अवैध रेत से भरे हर हाइवा से 7 हजार रुपए रंगदारी टैक्स वसूल रहे हैं। हैरानी की बात तो यह भी है कि शहर से चंद किलोमीटर दूर भेड़ाघाट के आगे भीटा गांव में सब कुछ दिन दहाड़े चल रहा है। अवैध नाके पर तैनात गुर्गे बेखौफ होकर वाहनों से हर दिन 8 से 10 लाख रुपए तक की उगाही कर रहे हैं, लेकिन अफसर कान चापकर बैठे हैं।

राजधानी को जाने वाले व्यस्ततम रोड पर उन्हें अवैध नाका और हाइवा व डंपरों की लम्बी कतार नजर नहीं आ रही है। खबर है कि पूरा गोरखधंधा एक विधायक पुत्र के इशारे पर चल रहा है। 


चलता है दबंग का टोकन
कहने को तो खनिज के परिवहन के लिए खनिज विभाग की रॉयल्टी पर्ची व टीपी अनिवार्य है, लेकिन शहर से चंद किलोमीटर दूर भेड़ाघाट के आगे भीटा में केवल एक पर्ची (टोकन) ही काम करती है। निर्धारित रकम देकर टोकन लिए बिना यहां से रेत भरे किसी भी वाहन का आगे बढ़ पाना नामुमकिन है। रेत की अवैध निकासी, अवैध ढुलाई और अवैध वसूली का सीधा फर्क जनता की जेब पर पड़ रहा है। उसे रेत की ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है। वहीं सरकार के खजाने पर पड़ रहा है। ईमानदार ठेकेदार खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।

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 समानांतर व्यवस्था
खनिज की निकासी या परिवहन पर शुल्क वसूलना खनिज विभाग का काम है, लेकिन भीटा में तो एक दबंग नेता के पुत्र ने खनिज विभाग के समानांतर खुद की ही एक सत्ता तैयार कर ली है। जिसके बूते संगठित तरीके से रेत के अवैध खनन से लेकर परिवहन तक का कारोबार चल रहा है। इस काले कारनामे की शिकायत अफसरों को भी की गई है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने से लोग हैरान हैं।

चारों तरफ बने हैं नाके 
जानकारों का कहना है कि एक विधायक पुत्र के गुर्गे रेत ढोने वाले प्रत्येक डंपर/हाइवा के प्रवेश से लेकर निकासी तक पैनी नजर रखते है। ये गुर्गे नाका से लेकर नर्मदा तट तक तैनात हैं। प्रत्येक डंपर/हाइवा के रजिस्ट्रेशन नंबर, वाहन स्वामी, चालक, उसमें भरी गई रेत की मात्रा से लेकर आने-जाने के समय तक रजिस्टर में दर्ज करते हैं। हर वाहन से वसूले गए अवैध रायल्टी से लेकर पूरे नेटवर्क पर खर्च राशि की पाई-पाई का हिसाब रजिस्टर पर रहता है। इनके क्षेत्रों से कोई भी वाहन रंगदारी शुल्क दिए बिना न जा सके इसलिए क्षेत्र में करीब 10 किलोमीटर के घेरे में सड़कों पर चारों ओर नाके बनाए गए हैं। 

वीडियो ने दिखायी हकीकत
भीटा नाके में रेत ढो रहे डंपरों से की जा रही अवैध वसूली का राज एक वीडियो ने भी खोला। इसमें नाके पर भारी संख्या में डंपर व हाईवा कतारबद्ध दिख रहे हैं। नाके पर तैनात कुछ युवक पूरी दबंगई से पीली पर्ची (जाली टोकन) काटकर ड्रायवरों को दे रहे हैं। पर्ची के बदले हर डंपर से 44 सौ और हाईवा से 7 हजार रुपए वसूले जा रहे हैं। बातचीत में दबंग नेता व उसके पुत्र के नाम का भी जिक्र है। कुछ लोगों ने यह वीडियो कलेक्टर, खनिज अधिकारी व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचाया है, लेकिन वे इस बात से हैरान है कि अवैध नाके और अवैध परिवहन पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।





पास से एंट्री, निकासी पर वसूली
नाका पर पहुंचते ही प्रत्येक डंपर/हाइवा को एक पास जारी किया जाता है। इस पास में उस घाट का नाम दर्ज होता है जहां से वाहन में रेत भरी जाएगी। संबंधित घाट पर पहुंचते पर वाहन चालक पास को वहां तैनात गुर्गों को दिखाता है। इसके बाद वाहन में रेत भर दी जाती है। गुर्गे एक हल्के पीले रंग के कागज (रायल्टी पर्ची जैसा कागज) की पर्ची यानी टोकन देते हैं। जिसमें रेत की मात्रा दर्ज रहती है। इस पर्ची को नाका पर बैठे गुर्गे को देना होता है। जो पर्ची पर दर्ज रेत की मात्रा के अनुसार वाहन चालक से रेत का शुल्क वसूलते है। राशि जमा होने के बाद पर्ची के पीछे क्रॉस का चिन्ह बनाकर हस्ताक्षर करके पर्ची चालक को वापस दे देते है। इसके बाद ही वाहन आगे बढ़ता है। 

इन जगहों से अवैध निकासी:
– कूड़ा, बेलखेड़ी, पावला, जुधपुरा, कुसली, नीमखेड़ा, खैरी घाट।

इन अवैध नाकों से घेराबंदी:
– भीटा गांव में 
– चरगवां रोड पर
– बेलखेड़ा रोड पर
– मनकेड़ी रोड पर
(नोट : मुख्य नाका भेड़ाघाट चौराहा से शहपुरा मार्ग पर तकरीबन 1 किलोमीटर आगे भीटा गांव में है। बाकी नाके क्षेत्र को कवर करने के लिए 10-10 किलोमीटर दूर अलग-अलग दिशा पर है।)

अवैध वसूली की दर:
डंपर (300 फीट रेत) – 4400 रुपए
हाइवा (500 फीट रेत) – 7000 रुपए
(नोट : नाका पर वसूली जाने वाली राशि की प्रति वाहन दर।)

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हर दिन इतनी होती है उगाही 

– 1500 रुपए प्रति सौ फीट रेत निकासी का अवैध रायल्टी शुल्क दर
– 150 के लगभग डंपर/हाइवा की प्रतिदिन भीटा नाका से निकासी
– 10 लाख रुपए औसतन प्रतिदिन एक नाका से अवैध कमाई
– 10-16 हजार रुपए प्रति डंपर/हाइवा अवैध रेत का विक्रय मूल्य



सवालों के घेरे में प्रशासन

– रेत की निकासी पर 1 अक्टूबर तक केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की रोक है। इसके बावजूद खुलेआम रेत की अवैध निकासी हो रही है।
– रेत खनन के लिए सकिंग मशीन का उपयोग पूर्णत: वर्जित है। इसके बावजूद नर्मदा तट पर सकिंग मशीन से धड़ल्ले से खनन।
– रेत की निकासी केवल स्वीकृत तट से करने का प्रावधान है। लेकिन दबंग नदी के अंदर मशीन लगाकर रेत का खुलेआम खनन कर रहे हैं। 
– प्रतिबंधित अवधि में रेत के अवैध खनन को रोकने और अवैध परिवहन पर निगरानी के लिए नदी तटों के करीब खनिज विभाग का कोई नाका नहीं है। 
– राष्ट्रीय राजमार्ग पर दबंगाई से अवैध नाका बन गया। जहां, दिन-रात गुर्गों की तैनाती और डंपर/हाइवा की कतार है। लेकिन व्यस्तम मार्ग पर इस कतार से प्रशासन अनभिज्ञ है।
– अवैध कारोबार में रेत ढोने वाले प्रत्येक वाहन के नंबर, स्वामी, चालक का ब्योरा नाका में कलमबद्ध है। लेकिन प्रशासन इसे कब्जे लेकर में कार्रवाई नहीं कर पा रहा है।
– बिना रायल्टी के अवैध रेत निकासी से राज्य सरकार को हर दिन लाखों रुपए के राजस्व की चपत लग रही है। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
– खनिज विभाग ने रेत की निकासी के लिए बकायदा घाट चिन्हित करके उन्हें आबंटित किया है, लेकिन दंबंगों ने अपनी सुविधा के अनुसार खुद के घाट बना लिए हैं। 

भीटा नाका बड़ा केन्द्र

रेत के अवैध खनन से जुड़े सूत्रों के अनुसार नर्मदा और उसकी सहायक नदियों के अन्य तटों से रेत की निकासी पर अपेक्षाकृत कम रंगदारी शुल्क देना पड़ता है। अन्य अवैध रेत खदानों के मुकाबले भीटा नाका से रेत निकासी पर प्रति वाहन 500 से 2000 रुपए तक अधिक रंगदारी शुल्क है। लेकिन शहर से नजदीकी और राष्ट्रीय राजमार्ग से सटकर चल रहे निर्माण कार्यों में रेत की आपूर्ति के लिए सुविधाजनक होने के कारण ज्यादातर डंपर/हाइवा भीटा गांव के अवैध नाका से ही रेत की ढुलाई कर रहे है।

ये है नियम
माइनिंग प्लान के अनुसार निर्धारित खदान से निकासी होना चाहिए। अतिरिक्त जमीन/तट से निकासी प्रतिबंधित है। इन खदानों का आवंटन ई-टेंडरिंग से होता है। समस्त प्रक्रिया में एनजीटी के निर्देशों का पालन होना चाहिए।

एेसे होना चाहिए-
एनजीटी के निर्देशानुसार केवल तट से रेत निकाली जा सकती है। पानी के अंदर से रेत निकासी प्रतिबंधित है। इस कार्य में किस्ती, मोटरबोट, सकिंग मशीन का उपयोग नहीं होना चाहिए।

भंडारण का नियम:
खनिज विभाग से स्वीकृति लेकर निर्धारित भूखंड पर ही रेत का भंडारण किया जा सकता है। ये भंडारण वे व्यक्ति जिन्हें खदान आवंटित है और सप्लायर है वे ही खनिज विभाग का अनुज्ञा पत्र हासिल करके कर सकते हैं।

निकासी पर प्रतिबंध:
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के निर्देश पर बारिश शुरू होने के साथ ही प्रदेश में 1 अक्टूबर तक रेत निकासी पर रोक लग जाती है। मानसून की सक्रियता के हिसाब से स्थानीय प्रशासन प्रतिबंध की समयावधी का पुनर्निधारण कर सकता है।

कार्रवाई का प्रावधान:
खनिज विभाग की जांच में अवैध उत्खनन और भंडारण मिलने पर विभागीय स्तर पर प्रकरण दर्ज किया जाता है। जिला दंडाधिकारी द्वारा मामला सही पाए जाने पर अवैध उत्खननकर्ता पर जुर्माना/सजा सुनाते हैं। जब्त की गई अवैध रेत को नीलामी के जरिए बेचा जाता है।

पता लगाते हैं 
हां यह बात सही है कि बारिश में रेत की निकासी प्रतिबंधित है। इसके चलते खनिज विभाग के रेत नाके बंद हैं। भीटा में रेत नाका चलने की जानकारी हमें नहीं है। इसका पता लगाता हूं, इसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। 
प्रदीप तिवारी,खनिज अधिकारी
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