जबलपुर। मकर संक्रांति का पर्व पूरे देश में 14 जनवरी को मनाया जाता है। इस बार 28 साल बाद संक्रांति पर खास योग बन रहा है। संक्रांति पर सर्वार्थसिद्ध योग, अमृत सिद्धि के साथ चंद्रमा कर्क राशि में प्रवेश करेगा। साथ ही संक्रांति पर अश्लेशा नक्षत्र, प्रीति और मानस योग का भी संयोग है। संक्रांति इस बार हाथी पर सवार होकर आएगी। जबलपुर के ज्योतिषाचार्य पंडित विपिन उपाध्ययाय के अनुसार इस बार संक्रांति पर्व सुख और समृद्धि लेकर आएगा। हाथी की सवारी सुख और समृद्धि की प्रतीक है। 28 वर्षों बाद बन रहा खास योग उर्जा का संचार करेगा।
पंडित विपिन ने बताया कि सूर्य के दक्षिण से उत्तरायण में प्रवेश होने पर मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन सूर्य 7:37 बजे सुबह मकर राशि में प्रवेश करेगा। नक्षत्रों के आधार पर संक्रांति का नाम राजसी है। साथ ही संक्रांति का नाम मिश्रा भी है जो जीवों के लिए लाभकारी होगी। संक्रांति का वाहन हाथी व उपवाहन गधा होगा। संक्रांति लाल वस्त्र धारण की हुई आएगी। उसका शस्त्र धनुष है। हाथ में लोहे का पात्र है और वे दूध का सेवन कर रही हैं।
शुभ कार्यों की होगी शुरूआत
पंडित विनोद शास्त्री के अनुसार सूर्य के उत्तरायण होते ही मांगलिक कार्यों की शुरूआत होती है। वैवाहिक आयोजन शुरू हो जाते हैं। साथ ही विभिन्न प्रकार के मांगलिक कार्यों प्रारंभ होते हैं। सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो यह सुख और समद्धि लाता है। इस दिन का विशेष महत्व है। पूरे भारत वर्ष में संक्रांति का पर्व अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है।
13 जनवरी को पुष्य नक्षत्र
ज्योतिष गणना के अनुसार 13 जनवरी को साल का पहला पुष्य नक्षत्र पड़ रहा है। इस दिन भी मांगलिक कार्य शुभ होते हैं।संक्रांति पर जबलपुर में जगह-जगह मेले का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा घरों में पूजन होता है। तिल के लड्डू और तिल से बने खाद्य खाए जाते हैं। मकर संक्रांति पर नर्मदा स्नान का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का भी रिवाज है।