इस रात सूखी हुई जड़ी बूटियों को भी चंद्रमा के प्रकाश में रख दिया जाता है, जब उन्हें सुबह उठाया जाता है तो वे पूर्ण तेज के साथ हरिभरी मिलती हैं।
जबलपुर। व्रत पूर्णिमा के बाद आज स्नान दान पूर्णिमा मनाई जा रही है। नर्मदा तट ग्वारीघाट पर आज सुबह से ही भक्तों की बड़ी संख्या देखने मिल रही है। पूर्णिमा के अवसर पर यहां विशेष मेले का आयोजन किया जाता है उसके साथ ही मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात औषधियां रस से अपने गुणों पर जीवनी शक्ति से परिपूर्ण हो जाती हैं। इन्हें इसी रात जाग्रत किया जाता है स्नान दान पूर्णिमा के अवसर पर नर्मदा में स्नान करके रोगियों व जरूरतमंदों का दिया जाता है।
तेजराज, भोजराज
ब्राम्ही, तेजराज, भोजराज, काली हल्दी, जटाशंकरी, पातालकुंभी, हाथाजोड़ी, कालीमुसली आदि कुछ ऐसी जड़ी बूटियां हैं जो विशेष रूप से आयुर्वेद के लिए उपयोगी मानी जाती है। आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार इनका प्रयोग आमतौर पर असाध्य रोगों के लिए भी किया जाता है।
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात इनमें तेज आ जाता है। 16 कलाओं से युक्त चंद्रमा के प्रकाश से ये अपनी पूर्ण शक्ति में आ जाती हैं। बताया जाता है कि इस रात के लिए पहले से टूटी या सूखी हुई जड़ी बूटियों को भी चंद्रमा के प्रकाश में रख दिया जाता है, जब उन्हें सुबह उठाया जाता है तो वे पूर्ण तेज के साथ हरिभरी मिलती हैं। जिसका लाभ रोगी को ज्यादा जल्दी मिलता है।
उपयोगी मानते हैं जानकार
दिल के मरीजों के साथ-साथ ये बीपी, शुगर और नेत्रों की रोशनी के लिए भी उपयोगी मानी जाती हैं। मेडिकल प्लांट्स में इन पौधों का खास महत्व है। ग्वारीघाट में निवासरत वैद्यों के अतिरिक्त कई आयुर्वेद के जानकार भी इन्हें इलाज के लिए उर्पयुक्त मानते हैं। ये हिमालय व विंध्याचल पर्वत मालाओं में पाई जाती हैं।