जबलपुर। सावन का महीना चल रहा है। हर तरफ शिव के नाम की धूम है। विशेषकर सोमवार पर शिवालयों में भक्तों का मेला लग रहा है। अभिषेक और भोलेनाथ का पूजन हो रहा है। वैदिक ग्रंथों में शिव लिंग को ब्रम्हांड का प्रतीक माना गया है। जानकारों के अनुसार रुद्र संहिता में शिव लिंगों के भी प्रकार बताए गए हैं, जो सृष्टि में व्याप्त अलग-अलग ब्रम्हांडों के प्रतीक माने जाते हैं। इनमें से रसलिंग यानी पारद शिवलिंग की महिमा अलग है। ज्योतिष के जानकार बताते हैं कि वैदिक रीति से स्थापित पारद शिवलिंग चमत्कारी होता है। इसके दर्शन मात्र से हर बाधा दूर हो जाती है। जबलपुर के ग्वारीघाट गीता धाम परिसर में विशाल पारद शिव लिंग विराजमान है। मान्यता के अनुसार सावन माह में यहां नित्य प्रति विशेष पूजन किया जा रहा है। भक्तों का तांता भी लग रहा है। गीताधाम के संत स्वामी नरसिंहदास ने पारद शिव लिंग की विशेषताएं और उनके पूजन का फल और विधान पत्रिका के साथ साझा किया है। आइए, आपको भी बताते हैं कि सावन माह में किस तरह इनके दर्शन व पूजन का लाभ लिया जा सकता है।
पारद ही शिव स्वरुप
नृसिंह पीठाधीश्वर जगद्गुरू डॉ. स्वामी श्यामदेवाचार्य के अनुसार पारद को भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। ताम्र को माता पार्वती का स्वरूप माना जाता है। इन दोनों के समन्वय से शिव और शक्ति का सशक्त रूप उभर कर सामने आ जाता है। ठोस पारद के साथ ताम्र को जब उच्च तापमान पर गर्म करते हैं तो ताम्र का रंग स्वर्णमयी हो जाता है। इसीलिए ऐसे शिवलिंग को “सुवर्ण रसलिंग” भी कहते हैं। पारद शिव लिंग की महिमा का वर्णन रूद्र संहिता, पारद संहिता, रसमार्तंड ग्रन्थ, ब्रह्म पुराण, शिव पुराण आदि में मिलता है। योग शिखोपनिषद ग्रन्थ में पारद के शिवलिंग को स्वयंभू भोलेनाथ का प्रतिनिधि माना गया है। इस ग्रन्थ में इसे “महालिंग” की उपाधि मिली है और इसमें शिव की समस्त शक्तियों का वास मानते हुए पारद से बने शिवलिंग को सम्पूर्ण शिवालय की भी मान्यता मिली है ।
दर्शन मात्र से कल्याण
गीताधाम के प्रबंधक स्वामी नरसिंह दास का मानना है कि पारद शिवलिंग का पूजन करने से समस्त दोषों से मुक्ति मिल जाती है। शास्त्रों में यहां तक लिखा है कि इसके दर्शन मात्र से समस्त परेशानियों का अंत हो जाता है। ऐसे शिवलिंग को समस्त शिवलिंगों में सर्वोच्च स्थान मिला हुआ है और इसका यथाविधि पूजन करने से मानसिक, शारीरिक, तामसिक या अन्य कई विकृतियां स्वत: ही समाप्त हो जाती हैं। घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है।
100 अश्वमेघ यज्ञ का फल
पौराणिक ग्रंथों में जैसे कि “रस रत्न समुच्चय” में ऐसा माना गया है कि 100 अश्वमेध यज्ञ, चारों धामों में स्नान, कई किलो स्वर्ण दान और एक लाख गौ दान से जो पुण्य मिलता है वह पुण्य मात्र पारे से निर्मित शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही उपासक को मिल जाता है। अगर कोई आध्यात्म के पथ पर आगे बढऩा चाहता है तो उसे पारे से बने शिव लिंग की उपासना करनी चाहिए। ऐसा करने से आपको मोक्ष की प्राप्ति भी हो जाती है। पारद एक ऐसा शुद्ध पदार्थ माना गया है जो भगवान भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है। इसकी महिमा केवल शिवलिंग से ही नहीं बल्कि पारद के कई और अचूक प्रयोगों के द्वारा भी मानी गयी है।
समाए हैं उपचारात्मक गुण
स्वामी अनूप देव शास्त्री बताते हैं कि पारा को धातुओं में सर्वोत्तम माना गया है। यह अपनी चमत्कारिक और हीलिंग प्रापर्टीज के लिए वैज्ञानिक तौर पर भी मशहूर है। पारद के शिवलिंग को शिव का स्वयंभू प्रतीक भी माना गया है। रूद्र संहिता में रावण के शिव स्तुति की जब चर्चा होती है तो पारद के शिवलिंग का विशेष वर्णन मिलता है। रावण को रस सिद्ध योगी भी माना गया है, और इसी शिवलिंग का पूजन कर उसने अपनी लंका को स्वर्ण की लंका में तब्दील कर दिया था। कुछ ऐसा ही वर्णन बाणासुर राक्षस के लिए भी माना जाता है। उसे भी पारे के शिवलिंग की उपासना के तहत अपनी इच्छाओं को पूर्ण करने का वर प्राप्त हुआ था।
वास्तुदोषों का शमन
शास्त्रों में इस बात का भी उल्लेख है कि पारे के शिव लिंग को यदि निश्चित आकार में घर पर रखा जाए तो सारे वास्तुदोष्ज्ञ स्वत: समाप्त हो जाते हैं। इस शिवलिंग को पूरे शिव परिवार के साथ रखा जाना चाहिए। पूजन विधि में, समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति में पारद से बने शिवलिंग एवं अन्य आकृतियों का विशेष महत्व होता है। पारद जिसे अंग्रेजी में एलम भी कहते हैं। यह एक तरल पदार्थ होता है और इसे ठोस रूप में लाने के लिए विभिन्न अन्य धातुओं जैसे कि स्वर्ण, रजत, ताम्र सहित विभिन्न जड़ी-बूटियों का प्रयोग किया जाता है। इसे बहुत उच्च तापमान पर पिघला कर स्वर्ण और ताम्र के साथ मिला कर, फिर उन्हें पिघला कर शिव लिंग का आकार दिया जाता है।
ऐसे करें मनोकामनाओं की पूर्ति –
– अगर आप अध्यात्म पथ पर आगे बढऩा चाहते हों, योग और ध्यान में आपका मन लगता हो और मोक्ष के प्राप्ति की इच्छा हो तो आपको पारे से बने शिवलिंग की उपासना करनी चाहिए। ऐसा करने से आपको मोक्ष की प्राप्ति भी हो जाती है।
– यदि आपको जीवन में कष्टों से मुक्ति नहीं मिल रही हो, बीमारियों से आप ग्रस्त रहते हों, लोग आपसे विश्वासघात कर देते हों तो पारद के शिवलिंग को यथाविधि शिव परिवार के साथ पूजन करें। ऐसा करने से आपकी समस्त परेशानियां ख़त्म हो जाएंगी और बड़ी से बड़ी बीमारियों से भी मुक्ति मिल जाएगी।
– यदि धन सम्पदा की कमी बनी रहती है तो आपको पारे से बने हुए लक्ष्मी और गणपति को पूजा स्थान में स्थापित करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि जहां पारे का वास होता है वहां मां लक्ष्मी का भी वास हमेशा रहता है। उनकी उपस्थिति मात्र से ही घर में धन लक्ष्मी का हमेशा वास रहता है।
– अगर आपके घर या व्यापार स्थल पर अशांति, क्लेश आदि बना रहता हो। आप को नींद ठीक से नहीं आती हो, घर के सदस्यों में टकराव और वैचारिक मतभेद बना रहता हो तो आपको पारद निर्मित एक कटोरी में जल डाल कर घर के मध्य भाग में रखना चाहिए। उस जल को रोज़ बाहर किसी गमले में डाल देना चाहिए। ऐसा करने से धीरे-धीरे घर में सदस्यों के बीच में प्रेम बढऩा शुरू हो जाएगा और मानसिक शान्ति की अनुभूति भी होगी।
– अगर आप उच्च रक्तचाप से पीडि़त हैं, हृदय रोग से परेशान हैं, या फिर अस्थमा, डायबिटीज जैसी बीमारियों से ग्रसित हैं तो आपको पारद से बना मणिबंध जिसे कि ब्रेसलेट भी कहते हैं, इसे अच्छे शुभ मुहूर्त में पहननी चाहिए। ऐसा करने से आपकी बीमारियों में सुधार तो होगा ही आप शान्ति भी महसूस करेंगे और रोगमुक्त भी हो जाएंगे।
– पारे के शिवलिंग के पूजन की महिमा तो ऐसी है कि उसे बाणलिंग से भी उत्तम माना गया है। जीवन की समस्त समस्याओं के निदान के लिए पारद के उपयोग एवं इससे सम्बंधित उपाय अत्यंत प्रभावशाली हैं। यदि इनका आप यथाविधि अभिषेक कर, पूर्ण श्रद्धा से पूजन करेंगे तो जीवन में सुख और शान्ति अवश्य पाएंगे। ऐसा शास्त्रों में उल्लेख है।