राहुल मिश्रा . जबलपुर
प्रदेश में संचालित लॉ कॉलेजों का नियमित निरीक्षण अब मप्र स्टेट बार काउंसिल करेगी। अभी तक यह कार्य बार काउंसिल ऑफ इंडिया के हवाले था। बीसीआई द्वारा नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में मप्र स्टेट बार काउंसिल के इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई है। जल्द ही इसे अमलीजामा पहनाया जाएगा। मप्र स्टेट बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष व वर्तमान सदस्य शिवेंद्र उपाध्याय ने बताया कि बीसीआई का सम्मेलन 9 जुलाई को आयोजित हुआ। मप्र स्टेट बार काउंसिल की ओर से प्रवक्ता राधेलाल गुप्ता व सदस्य जितेंद्र शर्मा भी शामिल हुए। उपाध्याय ने बताया कि मप्र की ओर से सम्मेलन में तीन अहम प्रस्ताव रखे गए। तीनों को अधिवक्ता समुदाय ने काफी सराहा और बीसीआई ने मंजूर कर लिया। सम्मेलन में 75वें जस्टिस खन्ना विधि आयोग की सिफारिशों के तहत बार काउंसिलों की अनुशासन समिति में बदलाव हो या न हो, इस पर चर्चा हुई। मप्र स्टेट बार काउंसिल की ओर से अधिवक्ता उपाध्याय ने समिति में दूसरे के हस्तक्षेप का विरोध किया। कहा गया कि एडवोकेट्स एक्ट की धारा 38 में अपील का प्रावधान है। इसका निर्णय सुप्रीम कोर्ट करती है। प्रस्ताव दिया गया कि अनुशासन समिति में संशोधन न किया जाए। मौजूद अधिवक्ता वृंद और बीसीआई पदाधिकारियों ने इस प्रस्ताव को मंजूर कर लिया।
सात सदस्यीय समिति में मप्र का सदस्य
इस प्रस्ताव पर समुचित तरीके से लॉ कमीशन के उक्त प्रस्ताव का विरोध करने के लिए बीसीआई ने एक समिति गठित कर दी। इस सात सदस्यीय समिति में मप्र बार काउंसिल सदस्य को भी शामिल किया गया।
बीसीआई देखेगी नए कॉलेज
उपाध्याय ने बताया कि वकीलों के इलेक्शन ट्रिब्यूनल में बाहरी सदस्यों को शामिल करने के प्रस्ताव का भी विरोध मप्र स्टेट बार ने किया। उन्होंने प्रस्ताव रखते हुए कहा कि लॉ कॉलेजों की बड़ी संख्या को देखते हुए निरीक्षण का अधिकार संबंधित राज्य अधिवक्ता परिषद को दिया जाना चाहिए। बीसीआई के सदस्यों की संख्या इतनी कम है कि वे दिन-रात निरीक्षण करें तो भी प्रतिवर्ष हर कॉलेज का निरीक्षण संभव नहीं है। इस प्रस्ताव को बीसीआई ने स्वीकार कर लिया।